राजा हिमाचल ने अपनी पुत्री पार्वती का पाणीग्रहण संस्कार किया। पार्वती का हाथ शिव जी के हाथ में सौंपा फिर वर कन्या ने सात फेरे लिये। तत्पश्चात् शिव जी ने पार्वती की माँग में सिन्दूर डाला। देवता फूल की वर्षा कर रहे हैं। सखियाँ विवाह के समय गाये जाने वाली मंगल गारी गा रहीं हैं। राजा हिमाचल ने सभी बारातियों को आसान पर बैठा कर प्रेमपूर्वक भोजन कराया। इस प्रकार शिव पार्वती का विवाह सम्पन्न हुआ। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना:—–
सखि हो शिव और गौरी के विवाह देखू हो ।
सखि हो दुलहा के अदभुत श्रृंगार देखू हो ।।
सखि हो शिव और गौरी के………..
बेद बिदित पंडित मंत्र उच्चारे हो,
लोक बिदित लोकाचार देखू हो ।
सखि हो शिव और गौरी के………..
राजा हिमाचल गौरा शिव को समरपी हो,
पाणी ग्रहण संस्कार देखू हो ।
सखि हो शिव और गौरी के………..
शिव जी उमा संग भावँर देहीं हो,
सात फेरों का ब्यवहार देखू हो ।
सखि हो शिव और गौरी के………..
शिव जी उमा सिर सिन्दुर देहीं हो,
फुलवा के बरसा अपार देखू हो ।
सखि हो शिव और गौरी के……….
सब सखियन मिली गारी गावै हो,
छप्पन कोटी के जेवनार देखू हो ।
सखि हो शिव और गौरी के………..
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रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र