प्रभु श्रीराम दुल्हा रूप में विवाह मंडप में हैं। अपरिमित शोभा छाई हुई है। प्रभु की सुन्दरता पर जनकपुर की युवती स्त्रियाँ इतनी मोहित हैं…
View More मत मारो नजरिया से तीर रघुबीर…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रAuthor: admin
राजा राम जी की नगरी सुहावन लागै हो…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
परम सुहावन नगरी अयोध्या जो छहो ऋतुओं में सुख देने वाली है उसकी शोभा का वर्णन नहीं किया जा सकता। उत्तर दिशा में पवित्र सरयू…
View More राजा राम जी की नगरी सुहावन लागै हो…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रकन्हैया तेरी मुरली शौतन भई….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
राधा और कृष्ण का प्रेम मन और वाणी से परे है। इसका कोई वर्णन नहीं कर सकता। जिस मुरली की तान सुनकर राधा सुधबुध खो…
View More कन्हैया तेरी मुरली शौतन भई….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रभूल न जाना प्रभु मैं सेवक तुम्हारा …-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
एक भक्त की भावना। भक्त कहता है कि हे प्रभु! मैं तो आपका सेवक हूँ, मुझे कभी भूलियेगा नहीं। आपके सिवा मेरा कोई सहारा नहीं…
View More भूल न जाना प्रभु मैं सेवक तुम्हारा …-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रभजले नाम उदार…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
भजले नाम उदार — दुर्लभ पावन नर तन पाया, जनम अकारथ यूँहिं गंवाया। अन्त समय जब आया बन्दे, सिर धुनि धुनि पछताया। जो भी कछु…
View More भजले नाम उदार…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रतू निर्मोही कहाँ छुपे हो….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
तू निर्मोही कहाँ छुपे हो ?– प्रेम के रस में पगे ये नैना, प्रभु दर्शन को तरस रहे हैं। तू निर्मोही कहाँ छुपे हो ?…
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जब विवाह के पश्चात् सीता जी विदा होने लगीं तो वहाँ ऐसा कारुणिक दृश्य उपस्थित हो गया कि मनुष्य की कौन कहे पशु पक्षी भी…
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प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना:—— नाथ मैं तो आयो शरण तुम्हारि , नाथ मैं तो आयो शरण तुम्हारी । मैं…
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श्री गणेश वन्दना:—– जय गणेश गजबदन विनायक । जय जय जय हो जय गणनायक ।। शंकर सुवन भवानी नन्दन । काम क्रोध मद लोभ निकन्दन…
View More श्री गणेश वन्दना….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रमिर्जाचौकी हाट की बंदोबस्ती 13.5 लाख में, मंडरो हाट की बोली मेरी मुर्मू ने जीती
– करण बने मिर्जाचाैकी हाट 13,लाख 50 हजार में हुई बंदोबस्ती – मेरी मुर्मू बनी मंडराे हाट की बोली। 1लाख 25 हजार मैं हुई बंदोबस्ती…
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