शुभवा श्यामल पुरुषवा तोहरो केइ लगिहें हो….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु श्रीराम सीता जी और लक्ष्मण जी के साथ जिस मार्ग से बन में जा रहे हैं उस मार्ग पर बसे गाँव के लोग प्रभु…

View More शुभवा श्यामल पुरुषवा तोहरो केइ लगिहें हो….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु बिनु नहिं कोउ शरणागत हितकारी…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना :——. प्रभु बिनु नहिं कोउ शरणागत हितकारी । आरत बचन सुनी द्रौपति की , राखी…

View More प्रभु बिनु नहिं कोउ शरणागत हितकारी…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

भजले चरन कमल रघुराई……-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें मैने प्रभु के चरण कमल की वन्दना की है :—–. भजले चरन कमल रघुराई । जेहि चरनन से सुरसरि…

View More भजले चरन कमल रघुराई……-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

राम से बड़ा राम का नाम….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

राम से बड़ा राम का नाम। प्रभु श्रीराम ने तो एक गौतम मुनि की पत्नी अहिल्या का उद्धार किया पर प्रभु का नाम कोटि कोटि…

View More राम से बड़ा राम का नाम….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

राम नाम की अस प्रभुताई……-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

राम नाम की अद्भुत महिमा है। शिव जी ने राम नाम रुपी अनुपान मिला कर कालकूट हलाहल का पान कर लिया और सारे जगत की…

View More राम नाम की अस प्रभुताई……-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

भजले नाम राम रघुबीरा…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

मैं प्रभु श्रीराम के नाम ‘राम’ की वन्दना करता हूँ जिसे भज कर अनगिनत भक्तजन भवसागर से पार उतर गए। राम नाम के बल पर…

View More भजले नाम राम रघुबीरा…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

नाथ हमरो के तारीं शरन अइनी जी…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है भोजपुरी में मेरी ये रचना शरणागत भजन के रूप में :—— नाथ हमरो के तारीं शरन अइनी जी । गणिका के तरनी अजामिल…

View More नाथ हमरो के तारीं शरन अइनी जी…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

बबुआ भाइ के बचनियाँ सुनि के बोल बबुआ…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

लक्ष्मण जी को शक्ति बाण लगा हुआ है । हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने गए हैं । प्रभु श्री राम भाई का सिर गोद में…

View More बबुआ भाइ के बचनियाँ सुनि के बोल बबुआ…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

रघुबीर शरन तेरी आयो जी….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना :—– रघुबीर शरन तेरी आयो जी । कितने पापि शरन तेरी आए , करि के…

View More रघुबीर शरन तेरी आयो जी….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

जो तोहे प्रीत लगी हरि चरनन….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

भक्ति की जोति सदा तु जलाओ . (सवैया) — जो तोहे प्रीत लगी हरि चरनन, भक्ति की जोति सदा तु जलाओ। हैं प्रभु दीनदयालु कृपालु,…

View More जो तोहे प्रीत लगी हरि चरनन….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र