एक पत्नी का पती परदेस से घर आया है और पत्नी उत्साह से भरी कहती है कि बाग में झूला लगाऊँगी और आज पिया के…
View More कि हरि हरि बगिया में डलबो झुलनवाँ…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रCategory: DHARM
सखि री कंत न आए ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
एक विरहन अपने प्रियतम के वियोग मे व्याकुल प्रियतम की प्रतिदिन बाट निहार रही है। बावली हुई प्रियतम की खोज में बन बन गली गली…
View More सखि री कंत न आए ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रपिया बिनु बीते नहीं दिन रैन………..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
सावन का महीना, पति परदेश, एक विरहन प्रियतम के विरह में व्याकुल भगवान कृष्ण से अपनी विरह वेदना सुनाते हुए विनती कर रही है कि…
View More पिया बिनु बीते नहीं दिन रैन………..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्ररिमझिम बरसे बदरिया….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
एक पत्नी का पति परदेश से घर आया है। बरसात का मौसम है। बादल गरज रहे हैं, बिजली चमक रही है, रिमझिम वर्षा बरस रही…
View More रिमझिम बरसे बदरिया….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रसावन की आई बहार हो…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
शिव जी का परम पवित्र सावन मास की मनोहारी सुहावनी छटा का वर्णन मेरी इस रचना के माध्यम से:——– सावन की आई बहार हो, बरसे…
View More सावन की आई बहार हो…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रतुम न आए सनम मैं बुलाती रही…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है मेरी ये रचना गजल के रूप में :—— तुम न आए सनम मैं बुलाती रही । क्या खता थी हमारी बताते सनम ,…
View More तुम न आए सनम मैं बुलाती रही…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रजारे जारे कजरारे कजरारे बदरा ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
एक युवती का पति परदेस में है और वह विरह में व्याकुल होकर बादल से विनती कर रही है कि हे बादल तुम मेरा संदेश…
View More जारे जारे कजरारे कजरारे बदरा ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्ररोटी कारन पिया परदेशी भए…ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
रोटी कमाने पति परदेश चला गया है और पत्नी विरह में व्याकुल उसके आने की प्रतीक्षा कर रही है। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी…
View More रोटी कारन पिया परदेशी भए…ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रकहाँ जा रहा है ? …..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
कहाँ जा रहा है ?—– विरह में बिलखत कौशिल माई । कोइ मोरे लाल दिखाई । कहाँ जा रहा है भटकता तु नर ? न…
View More कहाँ जा रहा है ? …..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रविरह में बिलखत कौशिल माई….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्रीराम वन में चले गए हैं। माता कौशल्या विरह में व्याकुल होकर विलख रहीं हैं। प्रस्तुत है माता कौशल्या की विरह वेदना पर मेरी…
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