-पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘ एक ख्याल आया और मुस्कान छूट गई। फिर सोचा — हँसी में टाल देने जैसी भी नहीं है यह बात।…
View More पाकिस्तान, अब तो अपनी ब्लैक मनी को काम में ले ही लो!Category: Literature
चित्रगुप्त से कही गयी गौरैया पीड़ा कथा -डॉ प्रशान्त करण
चित्रगुप्त जी को अपनी नींद और अपना ऐशोआराम बड़ा प्रिय था। इससे उनके अहंकार का पौधा वटवृक्ष बन खूब फैलने लगा था। परिवारवाद ने यह…
View More चित्रगुप्त से कही गयी गौरैया पीड़ा कथा -डॉ प्रशान्त करणसंगठनों की गोपनीय आपात सभा…— डॉ. प्रशान्त करण
रामलाल जी ने बताया—”एक दिन कार्यदिवस पर पूरे स्थानों पर दिन के बारह बजते ही एकदम सन्नाटा छा गया। ऐसा लगा कि कर्फ्यू लग गया…
View More संगठनों की गोपनीय आपात सभा…— डॉ. प्रशान्त करणउठना कदम का……- डॉ प्रशान्त करण
हम भारतवर्ष के गर्वित देशवासी एक से बड़ी एक विशाल समस्याओं से नहीं डरते। हम बड़ी हिम्मत के साथ उन्हें सफलतापूर्वक अनदेखा करते रहे हैं।…
View More उठना कदम का……- डॉ प्रशान्त करणबनना नए कीर्तिमान का ……- डॉ प्रशान्त करण
नए कीर्तिमान बना देना बहुत कठिन कार्य है। यह वर्षों के कठिन परिश्रम से होता है। और नए कीर्तिमान को स्वयं ही काटकर और नया…
View More बनना नए कीर्तिमान का ……- डॉ प्रशान्त करणतैयारी चुनाव की – एक. …………- डॉ. प्रशान्त करण
रामलाल जी, शशि बाबू की सलाह पर संभावित प्रत्याशियों को साधने की टोह में निकले। किसी दल ने अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए, जानकर असमंजस…
View More तैयारी चुनाव की – एक. …………- डॉ. प्रशान्त करणदिन जरूर फिरेंगे………….-डॉ प्रशान्त करण
सत्येंद्र बाबू बहुत परेशानी में चल रहे थे। नौकरी लगे तो तेरह साल हो गए, तभी से वे रिसीट-डिस्पैच सेक्शन में ही लगे हैं। ऐसा…
View More दिन जरूर फिरेंगे………….-डॉ प्रशान्त करणचुनाव आया………- डॉ प्रशान्त करण
“क्या रामलाल जी? आज अचानक कमीज-पतलून छोड़कर सीधे श्वेत कुर्ता-धोती के परिधान में आ गए?” शशि बाबू ने टोक दिया। “रामलाल – अरे शशि बाबू,…
View More चुनाव आया………- डॉ प्रशान्त करणसाक्षात्कार दशहरे पर …………. डॉ प्रशान्त करण
खबरीलाल पिछले तीन दिनों से दुर्गा पूजा पंडालों , शहर के मुख्य सड़कों और थानों का चक्कर लगाकर अपराधों के समाचार एकत्रित कर रहे थे…
View More साक्षात्कार दशहरे पर …………. डॉ प्रशान्त करणनेता को खबर चाहिए, मीडिया को पैकेज: लोकतंत्र की दुकानदारी
सम्पादकीय : पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश’। चुनावों के समय हर बार कुछ मुद्दे सुर्खियों में आ जाते हैं, जिन पर समाज का ध्यान अनिवार्य रूप से…
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