प्रस्तुत है विष्णु भगवान पर लिखी मेरी ये रचना :——-
जय लक्ष्मीरमण बिहारी ।
शयन कियो प्रभु शेष नाग पर ,
रूप चतुर्भुज धारी ।
द्विज के चरन चिन्ह हिय धारे ,
चक्र सुदर्शन धारी ।
जय लक्ष्मीरमण………
देव दनुज मिलि मथे समुंदर ,
चौदह रत्न निकाली ।
आपु धरे कच्छप के रूपा ,
पर्बत भार उठा ली ।
जय लक्ष्मीरमण………
असुरन्ह को मदिरा दे डाली ,
शिव को विष की प्याली ।
लक्ष्मी स्वयं विष्णु ने रख ली ,
कौस्तुभ मणी निराली ।
जय लक्ष्मीरमण………
जब जब भीर पड़ी भक्तन पर ,
रूप मनुज के धारी ।
महि की भार हरी प्रभु जी ने ,
असुरन्ह को संहारी ।
जय लक्ष्मीरमण………
महि = पृथ्वी
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र