झूठ………… -डॉ प्रशान्त करण

झूठ के पाँव होते हैं . बड़ी तीव्र गति से दौड़ता है . इतनी तेज की तूफ़ान-आँधी भी पानी भरने चला जाए . यह रहस्यमय तरीके से आकर्षक होता है . इतना आकर्षक कि विश्व सुंदरी शर्मा जाए ,मोनालिसा आत्महत्या कर ले , जादूगर की सजावट फीकी पड़ जाए , नेता जी बड़ी ऊँची कुर्सी भी ईर्ष्या करने लगे. झूठ चमत्कार करता है , अविश्वनीय रूप से सफलता देता है , नोबेल पुरस्कार भी घबरा जाए !

किसी तरह फर्जी डिग्री और धन की पैरवी से अमुक जी प्राध्यापक हो गए और चापलूसी की प्रतिभा से धीरे-धीरे प्रोफेसर तक प्रोन्नत हो गए . अब उनकी इच्छा उपकुलपति होने की हुई . अंतर्वीक्षा में बाकी सात उम्मीदवार इनसे सभी मामले में बीस थे. सबसे नीचे अमुक जी ही थे . उनके उपकुलपति बनने की कोई उम्मीद ही नहीं थी . ठीक अंतर्वीक्षा की पूर्व संध्या पर उन्होंने अपनी झूठ की साधना पर विश्वास किया . अपने को छोड़ सभी सातों उम्मीदवारों के विरुद्ध उन्होंने झूठे नामों से अलग-अलग भयंकर झूठों का पुलिंदा , झूठे साक्ष्यों को आधार बनाकर समिति के सभी सदस्यों को गोपनीय रूप से भिजवा दिया. अब वे समिति के अलग-अलग सदस्यों को अपने प्रतिद्वन्द्वियों के नाम से दो-दो हजार रुपयों के लिफाफे भेज दिए . और अन्त में अपने प्रतिद्वंदियों के कई कागजात खिंचवाकर गायब करवा दिया.अंतर्वीक्षा के दिन भरपूर पैरवी भी की .शिकायत पत्रों और कम रुपयों के लिफाफों से चयन समिति के सद्स्यगण आग बबूला हो गए. शेष सभी प्रतिद्वंदियों की संचिकाओं में पूरी आहर्ता के अभिलेख ही नहीं मिले.उल्टे कई झूठे अभिलेख मिले.अंतर्वीक्षा के बाद घोषणा हुई कि प्रतिभा के आधार पर उपकुलपति घोषित किए गए . अंतर्वीक्षा के सारे अभिलेख नए उपकुलपति अमुक जी ने जलवा दिए . अब वे खूब विदेश यात्रा भी कर रहे हैं .

झूठ सफलता के साथ सम्पन्नता भी देता है .झूठ हर दिन परिधान बदलता है . वह वकालतखाने में जन्म लेकर सभी क्षेत्रों में बहुतायत से पाया जाता है . शक्तिशाली होता है. सत्य को आहत कर लपेट कर कूड़ेदान में दाल देता है. झूठ से टकराना बहुत कठिन होता है . झूठ का विरोध करना नाना प्रकार के कष्टों को आमंत्रित करना है . मैं अब सोचने लगा हूँ की झूठ की साधना के लिए स्वयं की अंतरात्मा को दबा दूँ . पर सफलता नहीं मिल रही है. कोई पाठक मदद तो करें .