सीता जी के हरण के पश्चात् प्रभु श्रीराम सीता विरह में बावला हुए वृक्ष, लता, खग, मृग, कोल, भील, किरातों आदि से सीता जी का पता पूछते चल रहे हैं। सीता जी को पुकारते हुए प्रभु श्रीराम कहते हैं कि हे धरती, गगन, पाताल, सूर्य, चन्द्रमा, दशों दिशाओं के दिग्गज बताओ मेरी प्यारी सीता कहाँ है ? इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना:—-—
कहाँ है कहाँ है प्यारी सिया सुकुमारी ।
कहाँ है कहाँ है प्यारी………
बृक्षों बतादो खग मृग बतादो,
मधुकर कि श्रेणी कुछ तो बतादो ।
कहाँ है कहाँ है प्यारी सिया सुकमारी ।
कहाँ है कहाँ है प्यारी………
हवाएँ बतादो लताएँ बतादो,
सूरज बतादो और चन्दा बतादो ।
कहाँ है कहाँ है प्यारी सिया सुकुमारी ।
कहाँ है कहाँ है प्यारी………
दिशाएँ बतादो घटाएँ बतादो,
दिशाओं के दिग्गज कुछ तो बतादो ।
कहाँ है कहाँ है प्यारी सिया सुकुमारी ।
कहाँ है कहाँ है प्यारी………
कोलों बतादो किरातों बतादो,
धरती आकाश पताल बतादो ।
कहाँ है कहाँ है प्यारी सिया सुकुमारी ।
कहाँ है कहाँ है प्यारी………
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र