एक भक्त अपने आँगन को सजा कर माता को बुला रहा है कि हे माता मेरे आँगन में पधारो। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना:—-
मैया अँगने में हमरो पधारो हे माई ।
अँगना बुहारि मैया गोबरे लिपायो,
अँगना के आरी आरी कदली लगायो,
गजमोती चौका पुरायो हे माई ।
पग धारो हे माई ।
मैया अँगने में हमरो…………
सोने कलश मैया रुचिर सजायो,
कलशा के ऊपर दियना जलायो,
लाले लाले कुसुम सजायो हे माई ।
पग धारो हे माई ।
मैया अँगने में हमरो…………
अगर कपूर की बाती जलायो,
आरती मंगल थाल सजायो,
कर जोरी तोहके बुलायो हे माई ।
पग धारो हे माई ।
मैया अँगने में हमरो…………
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र