आज प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें माता के नौ रूप को दर्शाया गया है :———-
पधारी मोरे अंँगना जग जननी माई ।
प्रथम दिवस शैलपुत्रि मैया आई,
द्वितीय दिवस ब्रह्मचारिणि मैया आई ।
पधारी मोरे अंँगना…………….
तिसरे दिवस चन्द्रघंटा मैया आई,
चौथे दिवस कुष्मांडा मैया आई ।
पधारी मोरे अंँगना…………….
पंचम दिवस स्कन्दमाता आई,
छठवें दिवस कात्यायनि मैया आई,
पधारी मोरे अंँगना…………….
सप्तम दिवस कालरात्रि मैया आई,
आठवें दिवस महागौरि मैया आई ।
पधारी मोरे अंँगना…………….
नवम दिवस सिद्धिदात्रि मैया आई,
नव दुर्गा से मोरे अँगन सुहाई ।
पधारी मोरे अंँगना…………….
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र