एक युवती ने सुना कि नन्द और यशोदा के घर बहुत सुन्दर लाल का जन्म हुआ है तो उसके मन में उस बालक के दर्शन की लालसा जगी। उसके मन में उठते हुए भावों को प्रकट करती हुई मेरी ये रचना प्रस्तुत है :——-
खेलैबो ललना नन्द बाबा जी के अँगना ।
जाई गोकुल में दरश हम करबो ,
देखि सुरतिया जुड़ैबो नयना ,
नन्द बाबा जी के अँगना ।
खेलैबो ललना………….
लइ लइ गोद चन्द्रमुख देखबो ,
अन धन बस्त्र लुटैबो कंगना ,
नन्द बाबा जी के अँगना ।
खेलैबो ललना………….
आरति मंगल थाल सजैबो ,
मंगल गैबो बजैबो बजना ,
नन्द बाबा जी के अँगना ।
खेलैबो ललना………….
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र