उचरेला कागा अंँगनवाँ हो……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु श्री राम के आने की प्रतीक्षा माता शबरी कैसे कर रही है, मेरी भोजपुरी में लिखी गई इस रचना के माध्यम से प्रस्तुत है :———

उचरेला कागा अंँगनवाँ हो ,
आज राम हमार ऐहैं ।
निहुरी निहुरि शबरी अंँगना बुहारे ,
ऐहैं सिया के सजनवाँ हो,
आज राम हमार ऐहैं ।
उचरेला कागा……………
मिठे मिठे बेर शबरी चुन चुन कै रखली ,
करिहैं प्रभू जी भोजनवाँ हो ,
आज राम हमार ऐहैं ।
उचरेला कागा……………
प्रेम मगन शबरी रहिया निहारे ,
होइहैं प्रभू के दर्शनवाँ हो ,
आज राम हमार ऐहैं ।
उचरेला कागा……………

 

रचनाकार

  ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र