आव आव हो चन्दा हमार अँगना ……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

बाल मन को आनन्द देने वाली मेरी ये रचना प्रस्तुत है । बालक कृष्ण चन्द्रमा को देख कर मचल उठे । कहते हैं “मैया मोरि चन्द्र खिलौना लैहौं” (सूरदास) । माता यशोदा किस प्रकार चन्दा मामा को बुला रही हैं देखिये :——

आव आव हो चन्दा हमार अँगना ।
खेलिहें मोर कन्हैया तोहार संग ना ।
आव आव हो चन्दा………….
आके कन्हैया से करिल मिताई,
खेलिह ललन संग भवन अंँगना ।
आव आव हो चन्दा………….
बदरा के बीच से लुका छिपी खेलिह,
रोइहें ललन त रिझैह ललना ।
आव आव हो चन्दा………….
सोने कटोरी में दुध भात लैह,
घुम घुम के खैहें हमार ललना ।
आव आव हो चन्दा……………

 

रचनाकार

  ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र