सीट बंटवारा: झारखंड में भाजपा के लिए संतुलन साधना बड़ी परीक्षा

– पूर्णेन्दु सिन्हा पुष्पेश .  

झारखंड में विधानसभा चुनाव 2024 की तैयारी जोर-शोर से चल रही है, और राजनीतिक दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर खींचतान अपने चरम पर है। एक ओर इंडिया गठबंधन में जहां हेमंत सोरेन (झामुमो) अपने सहयोगी दलों की मांगों से परेशान हैं, वहीं एनडीए में भी हालात सामान्य नहीं दिख रहे। जदयू, आजसू और चिराग पासवान जैसे छोटे दल भी अपनी हिस्सेदारी को लेकर बीजेपी पर दबाव बना रहे हैं, जिससे भाजपा के सामने सीटों के संतुलन का संकट खड़ा हो गया है।

एनडीए की चुनौतियां और सीट बंटवारा: जदयू ने 11 सीटों पर अपनी दावेदारी ठोक दी है, जबकि आजसू भी सीटों की संख्या बढ़ाने की मांग कर रहा है। चिराग पासवान भी अपनी पार्टी के लिए सीटें मांग रहे हैं। भाजपा के लिए चुनौती यह है कि वो इन दलों को सीटें बांटने के लिए अपनी कौन सी सीटें छोड़ सकती है। जदयू के लिए राजा पीटर और सरयू राय की सीटें तो लगभग तय मानी जा रही हैं, लेकिन जदयू इससे संतुष्ट नहीं है।

इस स्थिति में भाजपा के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि संतुलन कैसे स्थापित किया जाए। एनडीए के भीतर संतुलन बनाने की कोशिशें चल रही हैं, लेकिन अगर भाजपा अपने पाले से ज्यादा सीटें बांटती है, तो उसे खुद के लिए सुरक्षित सीटें मिलनी मुश्किल हो सकती हैं। ऐसे में सहयोगी दलों को संतुष्ट करते हुए भाजपा को अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती बन गई है।

आंतरिक असंतोष और पुराने विधायकों का मुद्दा: भाजपा को एक और गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। झारखंड के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों, खासकर बोकारो जिले में, जनता और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच अपने मौजूदा विधायकों को लेकर असंतोष बढ़ता जा रहा है। कई स्थानों पर कार्यकर्ता और जनता वर्तमान विधायकों से नाराज चल रहे हैं, और ऐसे में अगर भाजपा पुराने विधायकों पर दांव खेलती है तो यह निर्णय पार्टी के लिए भारी पड़ सकता है। भाजपा को ऐसे असंतोष को दरकिनार करते हुए कुछ कठोर फैसले लेने होंगे, ताकि उसकी चुनावी संभावनाएं बेहतर हों।

हेमंत सोरेन की योजनाएं और भाजपा की चुनौती: वर्तमान झारखंड सरकार ने हाल ही में कई सरकारी योजनाओं की शुरुआत की है, जिससे जनता के बीच उसकी लोकप्रियता बढ़ी है। हेमंत सोरेन सरकार की ये योजनाएं भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बन सकती हैं। अगर भाजपा अपने आंतरिक संतुलन और सीट बंटवारे के मुद्दों को ठीक से नहीं सुलझा पाती है, तो हेमंत सोरेन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के असर से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

जयराम महतो की भूमिका: एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच सीटों के बंटवारे के इस खेल में जयराम महतो की भूमिका भी अहम मानी जा रही है। महतो, दोनों प्रमुख गठबंधनों को चोट पहुंचाने की तैयारी में हैं, और उनकी उपस्थिति किसी भी गठबंधन की संभावनाओं को प्रभावित कर सकती है। उनके प्रभाव से सीटों के गणित में बड़ा उलटफेर हो सकता है।

झारखंड में विधानसभा चुनाव 2024 के समीकरण लगातार बदल रहे हैं। एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच सीटों का संतुलन और आंतरिक असंतोष भाजपा के सामने गंभीर चुनौतियां पेश कर रहा है। सहयोगी दलों की मांगों को संतुलित करते हुए भाजपा को न सिर्फ सीट बंटवारे में समझदारी से काम लेना होगा, बल्कि जनता और कार्यकर्ताओं के असंतोष को भी दूर करना होगा।