वोट बैंक की भूख: इंडि गठबंधन का गैर-मुस्लिम त्योहारों पर हमला

सम्पादकीय : पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश’।  

जैसा राजा वैसा निरंकुश क़ानून। इंडि गठबंधन सिर्फ मुस्लिमों का वोट बैंक साधना चाहती है , इसीलिए उसने फिर से गैर मुस्लिमों को दबाने उन पर उनके पर्व त्योहारों पर अंकुश लगाने की कोशिश की है। इंडि गठबंधन को लगता है ऐसा करने से सभी मुश्लिम वोट उसकी झोली में गिर जायेंगे। यह आश्चर्यजनक है कि उक्त गठबंधन के चुनावी योजनाकार यह कैसे भूल जाते है कि ऐसा करने से सभी गैर मुस्लिम उनके विपक्ष में एकजुट हो जायेंगे। इस तरह तो कहीं न कहीं इंडि गठबंधन एनडीए को चुनाव में सपोर्ट ही कर रहा है। कोई कटाक्ष करे तो कहेगा कि ये राहुल बाबा का आईडिया है! क्या सचमुच इंडि गठबंधन इस झारखण्ड विधान सभा में एनडीए को वॉकओवर दे रहा है ?

चुनाव के एन वक़्त झारखंड में इंडि गठबंधन ने जो निर्णय लिए हैं, वे साफ-साफ दर्शाते हैं कि उसका मुख्य उद्देश्य केवल मुस्लिम वोट बैंक को साधना है। यह समझना जरूरी है कि इस प्रकार की रणनीतियों से न केवल मुस्लिम समुदाय को साधा जा रहा है, बल्कि अन्य धर्मों के लोगों को भी प्रतिकूल स्थिति में डालने का प्रयास किया जा रहा है।

त्योहारों पर अंकुश: एक सोची-समझी रणनीति

झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जेएसपीसीबी) द्वारा दिवाली, छठ पूजा, क्रिसमस और नववर्ष पर आतिशबाजी के लिए समय-सीमा तय करना निश्चित रूप से एक जरूरी कदम है। हालांकि, इसका उद्देश्य सिर्फ प्रदूषण को नियंत्रित करना नहीं, बल्कि किसी हद तक गैर-मुस्लिम समुदाय के त्योहारों पर अंकुश लगाना भी है। दीपावली और छठ पूजा के लिए विशेष समय निर्धारित करना, जहां मुस्लिम त्योहारों के लिए ऐसी कोई पाबंदी नहीं है, यह दर्शाता है कि इंडि गठबंधन जानबूझकर एक विशेष समुदाय के खिलाफ खड़ा हो रहा है।

इंडि गठबंधन के चुनावी योजनाकार यह सोच रहे हैं कि यदि वे गैर-मुस्लिमों के पर्व-त्योहारों पर अंकुश लगाते हैं, तो सभी मुस्लिम वोट उनकी झोली में गिर जाएंगे। यह एक बहुत ही खतरनाक सोच है, क्योंकि इस तरह के निर्णयों से सिर्फ गैर-मुस्लिम समुदाय में गहरी नाराजगी बढ़ेगी, बल्कि यह उन्हें एकजुट होने पर भी मजबूर कर देगा। जब समुदायों के बीच यह खाई बढ़ती है, तो यह स्पष्ट है कि इंडि गठबंधन एनडीए को चुनाव में समर्थन देने की राह पर है।

यह अत्यंत चिंता का विषय है, क्योंकि यदि ऐसा होता है, तो झारखंड की राजनीति में यह एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है, जिसमें गैर-मुस्लिम समुदाय को एक साथ लाने के बजाय, उनके अधिकारों पर बेजा अंकुश लगाने का प्रयास किया जा रहा है। झारखंड विधानसभा चुनाव में इस प्रकार के निर्णयों का क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना होगा। यदि इंडि गठबंधन के नेता यह समझते हैं कि वे गैर-मुस्लिम समुदाय को दबाकर मुस्लिम वोट हासिल कर सकते हैं, तो वे एक बड़ी गलती कर रहे हैं। ऐसे निर्णय से गैर-मुस्लिम समुदाय में असंतोष बढ़ेगा, और इसका परिणाम चुनावी परिणामों में भी देखने को मिलेगा।

प्रदूषण के नाम पर ध्वनि की सीमाएं

दीपावली और छठ पूजा के लिए रात 8 से 10 बजे तक का समय तय करना, यह संकेत देता है कि सरकार अपनी असलियत को छिपाने की कोशिश कर रही है। जब विभिन्न समुदायों के त्योहारों की बात आती है, तो यह स्पष्ट होता है कि सरकार की नीतियां कितनी पक्षपाती हैं। दीपावली जैसे प्रमुख हिंदू त्योहार पर ऐसे प्रतिबंध न केवल धार्मिक भावना को ठेस पहुँचाते हैं, बल्कि इससे यह भी साबित होता है कि सरकार एक विशेष समुदाय को खुश करने के लिए दूसरे समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन कर रही है।

समय-सीमा के विपरीत प्रदूषण का वास्तविक कारण

सरकार का यह तर्क कि वह प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए यह कदम उठा रही है, यह केवल एक ढाल है। वास्तविकता यह है कि प्रदूषण का मुख्य कारण शहरीकरण, औद्योगिकीकरण, और स्वच्छता की कमी है। त्योहारों के दौरान आतिशबाजी को लेकर समय-सीमा तय करना इस समस्या का समाधान नहीं है। बल्कि, यह एक बहाना है, जिसके माध्यम से सरकार एक खास समुदाय को दबाने की कोशिश कर रही है।

125 डेसिबल से अधिक शोर वाले पटाखों पर प्रतिबंध

प्रशासन द्वारा 125 डेसिबल से अधिक शोर वाले पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय भी विचारणीय है। क्या यह सच में ध्वनि प्रदूषण को रोकने का प्रयास है, या केवल एक और कदम है जो गैर-मुस्लिम त्योहारों पर अंकुश लगाने का प्रयास करता है? क्या हम यह मान लें कि यह निर्णय केवल एक पक्ष की सुरक्षा का ध्यान रखता है, जबकि दूसरे पक्ष को अपनी परंपराओं और उत्सवों से वंचित किया जा रहा है?

इंडि गठबंधन का यह कदम न केवल झारखंड की राजनीति में बल्कि देशभर की राजनीति में गंभीर प्रभाव डाल सकता है। यदि वे यह सोचते हैं कि वे मुस्लिम समुदाय को खुश कर सकते हैं, तो वे गलत हैं। सभी गैर-मुस्लिम समुदायों को इस प्रकार के निर्णयों के खिलाफ एकजुट होना होगा। हमें यह समझने की जरूरत है कि हमारी एकता ही हमारी ताकत है। यदि हम अपनी धार्मिक परंपराओं और त्योहारों की रक्षा नहीं करेंगे, तो हम केवल एक खंडित समाज बनकर रह जाएंगे।

इंडि गठबंधन को यह समझना होगा कि वे एक वोट बैंक के लिए अपनी राजनीतिक नैतिकता और सच्चाई को नहीं बेच सकते। इसके लिए उन्हें सभी समुदायों की भावनाओं का सम्मान करना होगा, तभी वे सच में एक समृद्ध और विकसित समाज की स्थापना कर सकेंगे।