प्रभु के दर्शन के लिए भक्त की व्याकुलता को दर्शाती प्रस्तुत है मेरी यह रचना:—–
चरन तुम्हारे पावन रघुबर,
दर्शन को हैं प्यासे नैना ।
जिन चरनों से निकली सुरसरि,
जिन चरनों से मुनि पतनी तरि,
उन चरनों के प्यासे नैना ।
चरन तुम्हारे पावन………..
जिन चरनों को केंवट धोवै,
जिन चरनों को हनुमत सेवैं,
उन चरनों के प्यासे नैना ।
चरन तुम्हारे पावन………..
जिन चरनों की सेवा करि के,
कितने सुर नर मुनिजन तरि गए,
उन चरनों के प्यासे नैना ।
चरन तुम्हारे पावन………..
जिन चरनों के दर्शन लागी,
‘ब्रह्मेश्वर’ भए जगत बिरागी,
कब पावैगें दर्शन नैना ।
चरन तुम्हारे पावन……...
रचनाकार :
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र