DHARM कहु कपि कब ऐहैं रघुबीर……..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र admin December 31, 2024 हनुमान जी जब लंका की अशोक वाटिका में माता सीता से मिले तब सीता जी अपनी विरह वेदना हनुमान जी से व्यक्त करने लगीं । इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :——- कहु कपि कब ऐहैं रघुबीर । किय मोरि सुधि कभी लिन्हिं पति, किय मोहे नाथ बिसराय दियो कपि, कब हरिहैं मोरे पीर । कहु कपि कब ऐहैं…………….. कब देखिहौं राजीव नयन को, बरसत लोचन स्वामि अयन को, जरत बिरह में शरीर । कहु कपि कब ऐहैं…………….. राख्यो प्रान एही असरन्ह कपि, ऐहैं एक दिन मोरे प्रानपति, साखी अनल समीर । कहु कपि कब ऐहैं…………….. रचनाकार : ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र