बड़े भाग्य से यह मनुष्य शरीर मिलता है पर मनुष्य इस संसार में आकर भोग विलास में डूब जाता है और प्रभु को भूल जाता है। और जब अन्त समय आता है तब पछताता है कि उम्र बीत गई और प्रभु का भजन नहीं किया। हे भाइयों यह राम नाम बहुत सुखदायक है भजन करो। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :—–.
कि आरे भाई राम नाम सुखदाई ,
भजन करु भाई रे भाई ।
बड़े भाग्य मानुष तन पाया ,
जनम अकारथ जाई ।
भजन करु भाई रे भाई ।
कि आरे भाई राम नाम……….
ममता मोह में प्रभु को भुलाया ,
भूल गये रघुराई ।
भजन करु भाई रे भाई ।
कि आरे भाई राम नाम……….
उमर बीत गई रास भोग में ,
अंत समय पछताई ।
भजन करु भाई रे भाई ।
कि आरे भाई राम नाम………..