श्री राम जन्म के उपलक्ष्य में प्रस्तुत है मेरी ये रचना चैती के रूप में :——–
मधुमास राम जी जनमलें हो रामा , अवध नगरिया । राजा लुटावेलें अन धन सोनवाँ , रानि लुटावें धेनु गैया हो रामा । अवध नगरिया । मधुमास राम जी जनमलें……… गलि गलि सींचि चतुरसम राची , घर घर बाजे बधैया हो रामा । अवध नगरिया । मधुमास राम जी जनमलें……… बाजत ढोल मृदंग पखावज , मैया सब लेत बलैया हो रामा । अवध नगरिया । मधुमास राम जी जनमलें……… सुर नर मुनिजन आरती उतारें , नाचत ता ता थैया हो रामा । अवध नगरिया । मधुमास राम जी जनमलें……...
मधुमास = चैत्र मास चतुरसम = चार सुगंधित पदार्थ केशर, कस्तुरी, चन्दन और कपूर के मिश्रण का घोल