बोकारो में संपन्न हुआ आईएसटीई फैकल्टी कन्वेंशन, उत्कृष्ट प्राध्यापकों को मिला सम्मान

बोकारो : गुरु गोविंद सिंह एजुकेशनल सोसाइटीज़ टेक्निकल कैंपस (GGSESTC), कांद्रा, चास, बोकारो में इंडियन सोसाइटी फॉर टेक्निकल एजुकेशन (ISTE) का दो दिवसीय फैकल्टी कन्वेंशन शनिवार, 1 नवंबर को सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन में बिहार और झारखंड के विभिन्न तकनीकी संस्थानों से आए प्राध्यापकों ने शोध-पत्र प्रस्तुत किए और तकनीकी शिक्षा के नवीन आयामों पर सार्थक चर्चा की।

समापन दिवस पर 33 शोध-पत्रों की पावर पॉइंट प्रस्तुति के बाद प्रमाणपत्र वितरण समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर एनआईटी जमशेदपुर के मैकेनिकल विभाग के प्रोफेसर डॉ. संजय मुखाय विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। साथ ही, आईएसटीई बिहार एवं झारखंड सेक्शन के चेयरमैन तथा एमआईटी मुजफ्फरपुर के प्रिंसिपल प्रो. (डॉ.) मिथिलेश कुमार झा ने भी सम्मेलन में भाग लेकर शिक्षकों को तकनीकी अनुसंधान और नवाचार की दिशा में प्रेरित किया।

कार्यक्रम की सफलता के उपलक्ष्य में आईएसटीई नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. प्रताप सिंह देसाई, नेशनल एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य एवं एनटीटीआर कोलकाता के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. अनिल कुमार, तथा एआईसीटीई नई दिल्ली के उपनिदेशक एवं पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. निखिल कांत ने अपने शुभ संदेश प्रेषित किए।

जीजीएसईएसटीसी के निदेशक डॉ. प्रियदर्शी झारूहर ने बताया कि अंतिम दिन उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले पाँच प्राध्यापकों को नगद पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए। पुरस्कृत शिक्षकों में प्रो. रोहित वर्मा, प्रो. गौतम कुमार, प्रो. सलीम अहमद, डॉ. आकाश आर्य, प्रो. शहनाज़ फ़रहीन, डॉ. मनोजित डे और प्रो. प्रमोद कुमार शामिल हैं।

उद्घाटन दिवस पर आईएसटीई बिहार-झारखंड सेक्शन की ओर से राज्य के 21 उत्कृष्ट प्राध्यापकों को “बेस्ट फैकल्टी अवार्ड” से सम्मानित किया गया था। सम्मेलन के दौरान शिक्षकों ने तकनीकी शिक्षा में नवाचार, अनुसंधान और उद्योग-संस्थान सहयोग पर अपने विचार साझा किए।

इस आयोजन की शानदार सफलता के लिए जूट रांची के कुलपति प्रो. (डॉ.) डी.के. सिंह, जीजीईएस, बोकारो के अध्यक्ष तरसेम सिंह, सचिव सुरेंद्र पाल सिंह, प्रबंधन समिति के सदस्यों और आईएसटीई सोसाइटी के सभी सदस्यों ने संयोजक दल की सराहना की। आयोजन ने न केवल तकनीकी शिक्षा जगत में एक नई ऊर्जा का संचार किया, बल्कि शिक्षकों के बीच अनुसंधान-उन्मुख दृष्टिकोण को भी प्रोत्साहित किया।

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