– पूर्णेन्दु पुष्पेश
वेब न्यूज़ मीडिया आज सिर्फ़ सूचना का माध्यम नहीं रहा, बल्कि यह एक जीवंत डिजिटल आंदोलन बन चुका है। इस आंदोलन ने बड़े शहरों तक सीमित पत्रकारिता की दीवारें तोड़ी हैं और छोटे गाँवों, कस्बों व आंचलिक इलाकों के युवाओं को भी अपनी बात दुनिया तक पहुँचाने का अवसर दिया है। एक साधारण मोबाइल फोन, इंटरनेट कनेक्शन और संवेदनशील दृष्टि….इतना ही काफी है आज के वेब पत्रकार के लिए, ताकि वह समाज की धड़कन को वैश्विक मंच तक पहुँचा सके।
इस बदलते दौर में वेब पत्रकार केवल तकनीकी कंटेंट क्रिएटर नहीं हैं। वे डिजिटल युग के कथाकार, मार्गदर्शक और समाज के विचार-निर्माता बन चुके हैं। उनकी एक ख़बर जनमत को दिशा दे सकती है, एक वीडियो सामाजिक बहस छेड़ सकता है और एक सतत अभियान सकारात्मक बदलाव की शुरुआत कर सकता है। यही वेब पत्रकारिता की शक्ति है; और यही इसकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी भी।
लेकिन यह रास्ता उतना ही जोखिम भरा भी है। वेब पत्रकारिता एक दुधारी तलवार की तरह है। थोड़ी-सी लापरवाही, तथ्यहीन प्रस्तुति या सनसनी की चाह वर्षों की मेहनत से बनी विश्वसनीयता को पल भर में नष्ट कर सकती है। डिजिटल मंच पर मिली तात्कालिक प्रसिद्धि जितनी तेज़ होती है, उतनी ही तेज़ गिरावट भी संभव है। इसलिए इस क्षेत्र में कदम रखने वाले हर वेब पत्रकार को यह समझना होगा कि हर शब्द, हर तस्वीर और हर वीडियो करोड़ों लोगों तक पहुँचने वाला संदेश है।
आज सोशल मीडिया पर हर कोई दिखना चाहता है, हर कोई अपनी बात कहना चाहता है। लेकिन वेब पत्रकार और आम यूज़र के बीच मूल अंतर जिम्मेदारी का है। वेब पत्रकार का लक्ष्य केवल वायरल होना नहीं, बल्कि मूल्यवान होना होना चाहिए। ट्रोलिंग, फेक न्यूज़ और नकारात्मकता के शोर के बीच सच, संवेदनशीलता और सकारात्मकता की आवाज़ बुलंद करना ही उनका पत्रकार धर्म है। पत्रकारिता का मकसद समाज को बेहतर बनाना, नागरिक विवेक को विकसित करना और संवाद की स्वस्थ परंपरा को मजबूत करना है।
पारंपरिक मीडिया की सीमाओं से अलग जब वेब पत्रकारिता ने आकार लिया, तो रचनात्मकता और सृजनात्मकता का नया संसार सामने आया। दृश्य, विचार, टिप्पणियाँ और निजी अनुभव; सबने मिलकर संवाद को निरंतर, समय से परे और दोतरफ़ा बना दिया। यही कारण है कि लोकतंत्र के प्रहरी और सरकारें भी इस मंच की ताकत को समझने लगीं और आज स्वयं सोशल मीडिया व डिजिटल माध्यमों पर सक्रिय हैं। वेब मीडिया अब सही मायनों में आम आदमी का माध्यम बन चुका है।
युवा वेब पत्रकार सीमाओं को तोड़ते हुए ग्रामीण जीवन, लोक संस्कृति और आंचलिक मुद्दों को वैश्विक पटल पर ला रहे हैं। सहज भाषा, स्पष्ट प्रस्तुति और ज़मीनी समझ के साथ वे ख़बरों को आम जनता तक पहुँचा रहे हैं। यही वेब पत्रकारिता की जीवंत आत्मा है। लेकिन समय की माँग है कि ये वेब पत्रकार स्वयं को एक जिम्मेदार और विश्वसनीय ब्रांड के रूप में विकसित करें।
यहाँ निबंधन और पहचान का सवाल अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। समाज और सरकार दोनों ही निबंधित वेब मीडिया हाउसों और निबंधित वेब पत्रकारों को गंभीरता से लेते हैं। जनता का भरोसा उन्हीं पर बनता है जिनकी एक स्पष्ट पहचान, जवाबदेही और संस्थागत आधार होता है। एक वेब पत्रकार के पास भले ही छोटा माध्यम हो, लेकिन वह एक मीडिया हाउस होता है, एक ब्रांड होता है। उसकी प्रकाशित और प्रसारित ख़बरों की विश्वसनीयता ही उसकी सबसे बड़ी पूँजी है।
आज भले ही वेब पत्रकारों की संख्या तेज़ी से बढ़ी हो, लेकिन समाज भी यह समझने लगा है कि किस पर भरोसा किया जाए। निबंधित मीडिया संस्थान और निबंधित पत्रकार ही सरकार, प्रशासन और आम जनता के बीच भरोसे का सेतु बनते हैं। वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया जैसे संगठन, जिनका सीधा संबंध सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB), भारत सरकार से होता है, इस विश्वसनीयता को संस्थागत आधार प्रदान करते हैं। ऐसे संगठनों से जुड़े वेब पत्रकार और वेब मीडिया हाउस न सिर्फ़ सरकारी स्तर पर मान्यता पाते हैं, बल्कि समाज में भी उनकी ख़बरों को गंभीरता और सम्मान के साथ देखा जाता है।
वेब न्यूज़ मीडिया एक बड़ी शक्ति है। सही दिशा में यह लोकतंत्र को मजबूत करता है, समाज को जागरूक बनाता है और सरकार व जनता के बीच संवाद को निरंतर बनाए रखता है। लेकिन गलत दिशा में यही शक्ति खतरनाक हथियार भी बन सकती है। इसलिए निबंधित वेब पत्रकारों के लिए अपनी विश्वसनीयता बनाए रखना ही सबसे बड़ा पत्रकार धर्म है। यही उनकी पहचान है, यही उनका कर्म और यही डिजिटल युग में पत्रकारिता की सच्ची साधना।

