– जया सुबोध कृष्णा
कक्षा- 8, दिल्ली पब्लिक स्कूल, बोकारो।
परीक्षा का नाम सुनते ही कई विद्यार्थियों के मन में घबराहट, चिंता और तनाव का भाव उत्पन्न हो जाता है। यह एक ऐसा अनुभव है, जिससे हर विद्यार्थी कभी न कभी गुजर चुका है, चाहे वह कक्षा में प्रथम आने वाला विद्यार्थी हो या अंतिम आने वाला वाला व्यक्ति ही क्यों न हो। परीक्षा का तनाव आज के समय में एक बड़ी समस्या बना चुका है, खासकर आकांक्षी युवाओं के बीच।
यह न केवल मानसिक, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालता है। परीक्षा के तनाव के कई कारण हो सकते हैं, जैसे – उच्च अपेक्षाएं, हमारे माता-पिता, शिक्षक व समाज हमसे बहुत सारी अपेक्षाएं रखते हैं। जब विद्यार्थी के लिए यही अपेक्षाएं बहुत ज्यादा हो जाती हैं तो उनके मन में असफलता का डर बैठ जाता है, जो विद्यार्थियों के लिए तनाव का विषय है।
समय-प्रबंधन की कमी भी तनाव का एक मुख्य कारण है। अधिकतर छात्र परीक्षा के लिए समय पर तैयारी नहीं कर पाते। आखिरी समय में पढ़ाई करने से तनाव व घबराहट बढ़ जाती है। प्रतिस्पर्धा भी तनाव का एक कारण है। आज के युग में शिक्षा-क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बहुत बढ़ गई है। यह प्रतिस्पर्धा विद्यार्थियों को मानसिक रुप से थका देती है। परिणाम का डर भी तनाव का एक विशेष कारण हो सकता है। परीक्षा का परिणाम छात्रों के भविष्य को प्रभावित करता है। इसी कारणवश विद्यार्थी असफल होने या कम अंक आने के डर से तनाव में आ जाते हैं।
परीक्षा के तनाव के लक्षण चिंता व घबराहट, नींद की कमी (अनिद्रा), भूख न लगना, चिड़चिड़ापन, आत्मविश्वास की कमी, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, सिरदर्द व पेटदर्द इत्यादि हैं। परीक्षा के तनाव से बचने के प्रभावशाली व कुशल समाधान की चर्चा करें तो समय-प्रबंधन अर्थात समय का सही उपयोग तथा समय पर अपनी पढ़ाई करते रहना तनाव को कम करने में मदद करता है। एक व्यवस्थित समय-सारणी बहुत आवश्यक है। अध्ययन का सही तरीका अपनाकर विषय को रटने की बजाय समझने का प्रयास करना चाहिए। विषयों को छोटे-छोटे भागों में विभाजित करके पढ़ना उपयोगी रहेगा। पर्याप्त नींद लें। यह तनाव को कम करने में सहायक होगी। पौष्टिक तथा संतुलित भोजन भी तनाव को कम करेगा। परीक्षा के नजदीकी दिनों में अपनी सोच सकारात्मक रखें। यदि तनाव अधिक हो तो अपने मित्रों तथा परिवारजनों से साझा करें।
माता-पिता तथा शिक्षकों को छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। उन्हें समझना चाहिए कि हर बच्चा अलग होता है और उसकी क्षमताएं भी अलग होती हैं। विद्यार्थियों पर अनावश्यक दबाव डालने से बचें और उन्हें प्रोत्साहित करें। साथ ही बच्चों को यह अहसास दिलाएं कि परीक्षा केवल जीवन का एक हिस्सा है, पूरा जीवन नहीं।
‘परीक्षा’ शब्द का अर्थ ही यही है अन्य की इच्छा और इसी बात का तो तनाव है। हम नहीं जानते कि प्रश्न-पत्र बनाने वाले व्यक्ति कैसे प्रश्न देंगे। परीक्षा का तनाव एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन इसका समाधान किया जा सकता है। परीक्षा केवल ज्ञान व मेहनत का मापदंड है, न कि आपकी सारी क्षमताओं का, इसलिए तनाव से बचें और अपनी पूरी मेहनत और लगन से परीक्षा की तैयारी करें। सफलता आपके कदम चूमेगी।