प्रभु श्रीराम वन में चले गए हैं। माता कौशल्या विरह में व्याकुल होकर विलख रहीं हैं। प्रस्तुत है माता कौशल्या की विरह वेदना पर मेरी…
View More विरह में बिलखत कौशिल माई….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रAuthor: admin
उचरेला कागा अंँगनवाँ हो…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
माता शबरी प्रभु के आने की कैसे प्रतीक्षा कर रही है, मेरी इस रचना से स्पष्ट है :—— उचरेला कागा अंँगनवाँ हो , आज राम…
View More उचरेला कागा अंँगनवाँ हो…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रबरजोरी करत है कन्हैया…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
गोपियाँ माता यशोदा से कृष्ण की शिकायत कर रही हैं और कहतीं हैं कि हे मैया कन्हैया हम सबों से बरजोरी करता है उसे रोको।…
View More बरजोरी करत है कन्हैया…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रहनुमत तुम बिन कौन उबारे ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
कोरोना काल में लिखी गई मेरी ये रचना। कहा गया है कि हनुमान जी को जब उनके बल की याद दिलाई जाती है तब वे…
View More हनुमत तुम बिन कौन उबारे ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रशरणागतम् त्वम् पाहिमाम् …..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
जब सारा विश्व कोरोना वायरस के संकट से त्रस्त था तब मैनें इस रचना को लिखा था जिसे आज फिर से पोस्ट कर रहा हूँ।…
View More शरणागतम् त्वम् पाहिमाम् …..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रप्रभु मोरे तुम बिन कौन उबारे…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
जब सम्पूर्ण विश्व पर कठिन संकट आ पड़ा था और कोरोना के भय से सारा जगत त्रस्त था, तब मैं इस रचना को लिखा था।…
View More प्रभु मोरे तुम बिन कौन उबारे…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रतेरा सेवक पड़ा है तेरे द्वार……-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है मेरी ये रचना माता का शरणागत भजन :——— तेरा सेवक पड़ा है तेरे द्वार , मैया खोलो दुअरिया । बहुत दिनन मैया सेवा…
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माता सब बालक राम चारो भाइयों को पालने में झुला रही हैं और आनन्द मगन हो रही हैं। अन्न धन वस्त्र सोना चाँदी मणि रत्न…
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जब प्रभु श्री राम का जन्म हुआ तो शिव जी के मन में प्रभु के दर्शन की लालसा जगी। शिव जी ने मदारी का वेष…
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राजा दशरथ ने जब श्रीराम जी का राज्याभिषेक करने का निश्चय किया तब अवध में उत्सव की तैयारियाँ होने लगीं। घर घर मंगल साज सजाए…
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