पर्यावरण पुकार रहा —- अपनी हीं करनी से मानव, प्रकृति प्रकोप है झेल रहा । समझ नहीं आता है उसको, खुला मौत से खेल रहा…
View More पर्यावरण पुकार रहा…- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रAuthor: admin
आए कंत नहीं केहि कारन। …-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
आए कंत नहीं केहि कारन —- कर सोलह श्रृंगार दुल्हनियां, करे पती इंतजार । आए कंत नहीं केहि कारन, बीते पाहर चार ।। किय कोई…
View More आए कंत नहीं केहि कारन। …-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रमोदी की कूटनीति: संवाद, संयम और संकल्प का संगम
सम्पादकीय : पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘ भारत-पाकिस्तान संबंधों और हाल ही में संपन्न ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर तीव्र प्रतिक्रियाएँ देखने को…
View More मोदी की कूटनीति: संवाद, संयम और संकल्प का संगमरोवत बीते रैन….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
रोवत बीते रैन —- पिया बिनु रोवत बीते रैन । दिन में चैन मोहे नहिं आवै, निन्दिया रात न नैन । पिया बिनु रोवत बीते…
View More रोवत बीते रैन….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रउजड़ा बाग…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
उजड़ा बाग —- कल चमन था , आज उजड़ा बाग है । थीं गूँजती किलकारियाँ , हर रोज मेरे आँगन में । कभि नाचती थीं…
View More उजड़ा बाग…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रगृहलक्ष्मी का आदर मान करो…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
गृहलक्ष्मी का आदर मान करो —- वह पिता बड़ा बड़भागी है , जिसने बेटी को जनम दिया । पाला पोषा और बड़ा किया , अपरिमित…
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सम्पादकीय : पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘ युद्ध का दौर है दोस्तो। गोलियां चल रही हैं, मिसाइलें दागी जा रही हैं, दुश्मन के इलाके में…
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चेतो मानव —- यह सूर्य है इतना तपता क्यूँ ? क्यूँ धरती इतनी गरम हुई ? सरोवर का जल सूख गया क्यूँ ? नदियाँ क्यूँ…
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नारी —- हम दे न सके वह आदर , जिसकी वो थी हकदार । कहने को देवी बनाया , पर किया नहीं सत्कार । जिसने…
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कौन हो तुम ? —- सागर सी गहरी आँखों वाली , कौन हो तुम ये मुझे बता । सूरज की क्या प्रथम किरण हो ,…
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