डीपीएस बोकारो का रूपेश जाएगा जापान, इंस्पायर अवार्ड मानक योजना में चयनित

सड़क सुरक्षा को लेकर बनाया गया रक्षक एप राष्ट्रीय स्तर पर चुना गया

– झारखंड से मात्र दो विद्यार्थियों को मिला सुनहरा अवसर
– आठ लाख रुपए का मिलेगा इनाम, राष्ट्रपति भवन में भी रहने का मौका
डीके वत्स

बोकारो ः बोकारो में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। डीपीएस बोकारो का होनहार छात्र रहे रूपेश कुमार ने नवोन्मेषता संबंधी भारत सरकार की महत्वाकांक्षी इंस्पायर अवार्ड मानक योजना के अंतिम चरण में चयनित होकर अपने विद्यालय, शहर और राज्य का नाम गौरवान्वित किया है। उसे अब जापान टूर का सुनहरा मौका मिलेगा। इतना ही नहीं, पुरस्कार-स्वरूप उसे लगभग आठ लाख रुपए की पुरस्कार राशि भी मिलेगी और राष्ट्रपति भवन में चार दिनों तक आतिथ्य का अवसर भी मिलेगा। बीते 17 से 19 सितंबर तक नई दिल्ली में आयोजित इंस्पायर मानक की राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी में बोकारो के रूपेश के साथ-साथ हजारीबाग के अनाश फैजान कोइस अंतरराष्ट्रीय सुनहरे मौके के लिए चयनित किया गया। उन्हें केन्द्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा. जितेन्द्र सिंह के हाथों पुरस्कृत किया गया। रूपेश ने जहां रोड सेफ्टी एप रक्षक बनाया है, वहीं अनाश ने मोबाइल टावर फॉर सेफ्टी की नवाचार तकनीक को बनाकर यह गौरव प्राप्त किया। दोनों के मॉडल को पेटेंट कर लिया गया है। उसकी इस उपलब्धि पर डीपीएस बोकारो के प्राचार्य डॉ. एएस गंगवार सहित पूरे विद्यालय परिवार ने उसे बधाई दी तथा उसके उज्जवल भविष्य की कामना की है।

एक्सीडेंट होते ही अस्पताल और परिजनों को मिलेगी सूचना
विदित हो कि रूपेश ने एक खास डिवाइस और मोबाइल एप्लीकेशन ‘रक्षक’ तैयार किया है। इसकी मदद से दुर्घटना होने के साथ ही संबंधित घटनास्थल के एक किलोमीटर के दायरे में स्थित सभी अस्पतालों को कॉल और एसएमएस के जरिए वाहन के लोकेशन के साथ सूचना मिल जाएगी। इससे सही समय पर घायल व्यक्ति तक एंबुलेंस पहुंचाई जा सकेगी। इतना ही नहीं, अस्पतालों के साथ-साथ वाहन में सवार लोगों के परिजनों और पुलिस को भी तत्काल सूचना मिल सकेगी। इसके अलावा उक्त एप में रजिस्टर्ड आसपास के कार चालकों को भी लोकेशन व सूचना मिल जाएगी।

स्पीड और झटके के दबाव पर काम करता है सेंसर
रूपेश द्वारा बनाया गए डिवाइस में एमसीयू (माइक्रोकंट्रोलर यूनिट), सेंसर, जीपीएस, सिम कार्ड, एक्सीलरेशन डिटेक्टर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। जबकि, इससे जुड़े मोबाइल ऐप में वाहन चालक का नाम, घर का पता, ब्लड ग्रुप एवं परिजनों के मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड रहते हैं। कंप्यूटर कोडिंग की मदद से उक्त डिवाइस में सभी संबंधित डाटा को फीड किया जाता है। रूपेश ने बताया कि इसमें खास तरह के सेंसर का इस्तेमाल किया गया है, जो कार की स्पीड और झटके के दबाव का पता लगाता है। सुरक्षित सीमा से अधिक रफ्तार होने पर यह डिवाइस ड्राइवर को अलर्ट भी करता है। वहीं, एक्सीडेंट होने पर वाहन की गति और गाड़ी पर झटके से अचानक पड़ने वाले दबाव का पता लगाकर सेंसर एमसीयू को संदेश भेजता है, जहां से संबंधित नंबरों पर फोन और एसएमएस चला जाता है।

पिता के दोस्त की सड़क हादसे में मौत के बाद आया आइडिया
रूपेश ने बताया कि लगभग दो वर्ष पहले उसके पिता रविशंकर कुमार के एक पूर्व सैनिक मित्र की सड़क हादसे में दर्दनाक मृत्यु हो गई थी। अगर सही समय पर एंबुलेंस घटनास्थल पर पहुंच गई होती, तो शायद उनकी जान बचाई जा सकती थी। इस दुर्घटना के बाद ही उसे यह आइडिया सूझा कि कुछ ऐसा उपकरण वह बनाए, जिससे सड़क हादसे में घायल लोगों की जान समय रहते बचाई जा सके। उसने इस बारे में डीपीएस बोकारो में अपने गाइड टीचर मो. ओबैदुल्लाह अंसारी से बात की और उनकी मदद से इस प्रोजेक्ट की ओर काम आगे बढ़ाया। इसे मूर्त रूप देने में उसे लगभग एक महीने का समय लगा।

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