चार वोटर आईडी, दो पैन कार्ड, झूठा शपथ-पत्र और बकाया बिल: बोकारो विधायक श्वेता सिंह की “ईमानदारी” पर बड़ा सवाल!

  • झूठे हलफनामे से गढ़ी गई ‘सत्य की कहानी’?
  • बकाया बिल छिपाया, दो पैन कार्ड और चार वोटर आईडी उजागर
  • लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम और आयकर नियमों की अनदेखी?
  • चुनाव आयोग और आयकर विभाग से कार्रवाई की मांग
  • पति-पत्नी और ‘पिता’ के नाम की उलझन
  • क्या लोकतंत्र को ठग रही है जनप्रतिनिधि?

बोकारो: झारखंड की राजनीति में पारदर्शिता और जवाबदेही के दावों को उस वक़्त गहरा झटका लगा, जब बोकारो विधायक श्वेता सिंह के नाम पर दो अलग-अलग पैन कार्ड होने और चुनाव में झूठा शपथ-पत्र देने की गंभीर जानकारी सामने आई।

झूठा हलफनामा और छिपाया गया बकाया

विधानसभा चुनाव 2024 में नामांकन के समय दायर शपथ पत्र में श्वेता सिंह ने दावा किया था कि उनके ऊपर सरकारी संस्थानों का कोई बकाया नहीं है, जबकि दस्तावेज़ बताते हैं कि बोकारो स्टील सिटी द्वारा आवंटित क्वार्टर पर उनका ₹45,000 से अधिक बकाया है—जिसमें ₹19,000 मकान किराया और ₹25,000 बिजली बिल शामिल है।

यह जानबूझकर जानकारी छिपाने का मामला है, जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 125A के तहत छह महीने की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा का पात्र बनता है।


दो पैन कार्ड और पिता-पति का घालमेल

विधायक श्वेता सिंह के नाम पर दो अलग-अलग पैन कार्ड हैं:

  1. रामगढ़ से जारी कार्ड:

    • नाम: SHWETA SINGH

    • पिता का नाम: Sangram Singh (जो वास्तव में उनके पति हैं)

  2. गुरुग्राम से जारी कार्ड:

    • नाम: SHWETTAA SINGH

    • पिता का नाम: Dinesh Kumar Singh

दोनों पैन कार्ड में जन्मतिथि 19-06-1984 ही है। लेकिन नियम के अनुसार पैन कार्ड में केवल पिता का नाम ही दिया जा सकता है, पति का नहीं।

यह भ्रम और अनियमितता न केवल आयकर अधिनियम की अवहेलना है, बल्कि एक चुने हुए प्रतिनिधि द्वारा झूठी पहचान प्रस्तुत करने का गंभीर मामला भी बनता है।

क्या कहता है कानून?

  • लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 125A:
    शपथ-पत्र में जानबूझकर गलत सूचना देना दंडनीय अपराध है।

  • आयकर अधिनियम:
    एक व्यक्ति के पास दो पैन कार्ड नहीं हो सकते। यदि किसी ने जानबूझकर अलग पहचान बनाकर दूसरा पैन कार्ड बनवाया है, तो ₹10,000 तक का जुर्माना और कानूनी कार्यवाही हो सकती है।

एक व्यक्ति के नाम पर चार वोटर आईडी कार्ड

बिरंची नारायण द्वारा प्रस्तुत शिकायत में सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह है कि श्वेता सिंह के नाम पर चार अलग-अलग वोटर आईडी कार्ड जारी किए गए हैं। विवरण इस प्रकार है:

  1. EPIC No. GPV2611846 — Shweta Singh / श्वेता सिंह, पति: संग्राम सिंह, निर्वाचन क्षेत्र: बोकारो-36

  2. EPIC No. GPV9912379 — Sweta Singh / स्वेता सिंह, पति: संग्राम सिंह, निर्वाचन क्षेत्र: बोकारो-36

  3. EPIC No. ZUU1677376 — Shweta Singh / श्वेता सिंह, पिता: दिनेश कुमार सिंह, निर्वाचन क्षेत्र: झाझा, बिहार

  4. EPIC No. OKP027096 — SHWETTAA SINGH / श्वेता सिंह, पति: डॉ. संग्राम सिंह, निर्वाचन क्षेत्र: बोकारो-36

यह स्पष्ट करता है कि एक ही व्यक्ति ने तीन बार बोकारो और एक बार बिहार के झाझा क्षेत्र से अलग-अलग वोटर आईडी प्राप्त कीं। यह निर्वाचन प्रक्रिया में धोखाधड़ी के समान है और भारतीय निर्वाचन कानून की स्पष्ट उल्लंघना है।


चुनाव आयोग और आयकर विभाग से मांग

इस पूरे मामले में अब यह जरूरी हो गया है कि चुनाव आयोग स्वतः संज्ञान लेते हुए:

  • विधायक द्वारा दायर शपथ-पत्र की जांच करे

  • दो पैन कार्ड के मामले में आयकर विभाग कार्रवाई करे

  • चार वोटर आईडी कार्ड के मामले में चुनाव आयोग कार्रवाई करे

  • और यदि आरोप सही पाये जाएँ तो विधायक की सदस्यता पर भी विचार किया जाए


पति ने दी सफाई, लेकिन सवाल बरकरार

विधायक श्वेता सिंह के पति संग्राम सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि:

“केवल एक पैन कार्ड है। उसमें गलती से पति का नाम पिता की जगह दर्ज हो गया है। पुरानी व्यवस्था में ऐसा संभव था, जिसे अब सुधारा जाएगा।”

उन्होंने यह भी कहा कि गुरुग्राम वाले पैन कार्ड का उपयोग कभी नहीं हुआ, लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर उपयोग नहीं हुआ तो बनाया क्यों गया? और चुनाव आयोग को बताया क्यों नहीं गया?


क्या जनप्रतिनिधि जवाबदेह नहीं?

इस पूरे प्रकरण ने न सिर्फ श्वेता सिंह की राजनीतिक नैतिकता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि लोकतंत्र की नींव को भी झकझोरा है। एक जनप्रतिनिधि से अपेक्षा की जाती है कि वह उदाहरण पेश करे, न कि कानून की धज्जियां उड़ाए

इस गंभीर मामला को नजरअंदाज करना लोकतंत्र के साथ अन्याय होगा।
अगर ऐसे मामलों में चुनाव आयोग और सरकार चुप रहे, तो जनप्रतिनिधित्व की विश्वसनीयता पर संकट आ सकता है।
अब देखना यह है कि क्या सिस्टम सच में “लोकतंत्र का प्रहरी” बनता है या फिर यह मामला भी राजनीतिक रसूख की भेंट चढ़ जाता है।