मोरे सजना करे है किसानी…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

एक किसान की पत्नी अपनी सखी से कह रही है कि मेरे पति किसानी करते हैं और ऐसा कह कर उसे अपने पति पर गर्व…

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ओ हरी जी! कब लोगे खबर हमारी…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी रचना:——- ओ हरी जी! कब लोगे खबर हमारी । काम क्रोध मद में, उमरिया बितायो प्रभु जी,…

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भजले चरन कमल रघुराई….- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें मैने प्रभु के चरण कमल की वन्दना की है :— भजले चरन कमल रघुराई । जेहि चरनन से सुरसरि…

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मोबाईल ही जिन्दगी है…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

मोबाईल ही जिन्दगी है— जिन्दगी की भाग दौड़ में, दिलों के बन्धन टूट गए । जबसे मोबाईल आया, रिश्ते नाते पीछे छूट गए । अब…

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पर्यावरण पुकार रहा…- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

पर्यावरण पुकार रहा —- अपनी हीं करनी से मानव, प्रकृति प्रकोप है झेल रहा । समझ नहीं आता है उसको, खुला मौत से खेल रहा…

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आए कंत नहीं केहि कारन। …-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

आए कंत नहीं केहि कारन  —- कर सोलह श्रृंगार दुल्हनियां, करे पती इंतजार । आए कंत नहीं केहि कारन, बीते पाहर चार ।। किय कोई…

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रोवत बीते रैन….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

रोवत बीते रैन —- पिया बिनु रोवत बीते रैन । दिन में चैन मोहे नहिं आवै, निन्दिया रात न नैन । पिया बिनु रोवत बीते…

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