कोरोना काल में लिखी गई मेरी ये रचना। कहा गया है कि हनुमान जी को जब उनके बल की याद दिलाई जाती है तब वे…
View More हनुमत तुम बिन कौन उबारे ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रCategory: DHARM
शरणागतम् त्वम् पाहिमाम् …..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
जब सारा विश्व कोरोना वायरस के संकट से त्रस्त था तब मैनें इस रचना को लिखा था जिसे आज फिर से पोस्ट कर रहा हूँ।…
View More शरणागतम् त्वम् पाहिमाम् …..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रप्रभु मोरे तुम बिन कौन उबारे…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
जब सम्पूर्ण विश्व पर कठिन संकट आ पड़ा था और कोरोना के भय से सारा जगत त्रस्त था, तब मैं इस रचना को लिखा था।…
View More प्रभु मोरे तुम बिन कौन उबारे…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रतेरा सेवक पड़ा है तेरे द्वार……-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है मेरी ये रचना माता का शरणागत भजन :——— तेरा सेवक पड़ा है तेरे द्वार , मैया खोलो दुअरिया । बहुत दिनन मैया सेवा…
View More तेरा सेवक पड़ा है तेरे द्वार……-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रपालने में झुलत चारो भैया….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
माता सब बालक राम चारो भाइयों को पालने में झुला रही हैं और आनन्द मगन हो रही हैं। अन्न धन वस्त्र सोना चाँदी मणि रत्न…
View More पालने में झुलत चारो भैया….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रचारो दशरथ ललनवाँ देखब कैसे….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
जब प्रभु श्री राम का जन्म हुआ तो शिव जी के मन में प्रभु के दर्शन की लालसा जगी। शिव जी ने मदारी का वेष…
View More चारो दशरथ ललनवाँ देखब कैसे….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रआज अवध में बधावन बाजै ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
राजा दशरथ ने जब श्रीराम जी का राज्याभिषेक करने का निश्चय किया तब अवध में उत्सव की तैयारियाँ होने लगीं। घर घर मंगल साज सजाए…
View More आज अवध में बधावन बाजै ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रखेलैबो ललना दशरथ जी के अँगना…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
एक युवती ने जब सुना कि राजा दशरथ के घर चार सुन्दर बालकों ने जन्म लिया है तो उसके मन में उन बालकों को देखने…
View More खेलैबो ललना दशरथ जी के अँगना…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रभैलें प्रगट रघुरैया अवध में बाजे बधैया….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्री राम के प्राकट्य दिवस पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना बधाई गीत के रूप में :—- भैलें प्रगट रघुरैया अवध में बाजे बधैया…
View More भैलें प्रगट रघुरैया अवध में बाजे बधैया….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रराम बनवाँ में आए सुनोरी सजनी….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्रीराम को वन में देख कर वनवासी स्त्रियाँ आपस में वार्ता कर रहीं हैं और कहतीं हैं कि हे सखी हम तो कुदेश (बुरे…
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