राम हमारे कभी न रूठें—– सारी दुनिया रूठ जाय , इसकी चिन्ता नहीं है मुझको । बस राम हमारे कभी न रूठें , यही हमारी…
View More राम हमारे कभी न रूठें….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रCategory: DHARM
मोरे सजना करे है किसानी…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
एक किसान की पत्नी अपनी सखी से कह रही है कि मेरे पति किसानी करते हैं और ऐसा कह कर उसे अपने पति पर गर्व…
View More मोरे सजना करे है किसानी…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रओ हरी जी! कब लोगे खबर हमारी…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी रचना:——- ओ हरी जी! कब लोगे खबर हमारी । काम क्रोध मद में, उमरिया बितायो प्रभु जी,…
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प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें मैने प्रभु के चरण कमल की वन्दना की है :— भजले चरन कमल रघुराई । जेहि चरनन से सुरसरि…
View More भजले चरन कमल रघुराई….- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रमोबाईल ही जिन्दगी है…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
मोबाईल ही जिन्दगी है— जिन्दगी की भाग दौड़ में, दिलों के बन्धन टूट गए । जबसे मोबाईल आया, रिश्ते नाते पीछे छूट गए । अब…
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जीवन की नैया— ये जीवन की नैया चली जा रही है । चलाना समझ कर भटकने न पाए , रखना नजर कहिं भँवर न डुबाए…
View More जीवन की नैया …-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रउषा आई …-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
उषा आई—- रजनी छुपी उषा आई । बाल सूर्य की मधुर किरण , अमिय सदृश्य धरा पर छाई । मंदिर मँह घंटा धुनि गूँजे ,…
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पर्यावरण पुकार रहा —- अपनी हीं करनी से मानव, प्रकृति प्रकोप है झेल रहा । समझ नहीं आता है उसको, खुला मौत से खेल रहा…
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आए कंत नहीं केहि कारन —- कर सोलह श्रृंगार दुल्हनियां, करे पती इंतजार । आए कंत नहीं केहि कारन, बीते पाहर चार ।। किय कोई…
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रोवत बीते रैन —- पिया बिनु रोवत बीते रैन । दिन में चैन मोहे नहिं आवै, निन्दिया रात न नैन । पिया बिनु रोवत बीते…
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