माता सती ने शरीर त्यागने के पश्चात् राजा हिमाचल के घर उनकी पत्नी महारानी मैना के गर्भ से पुत्री रूप में अवतार लिया और माता…
View More हर्षित भई मैना रानी…………ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रCategory: DHARM
जय हर हरी जय हर हरी……. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
हर और हरि अर्थात् भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों की एक साथ वन्दना मेरी इस रचना के माध्यम से :—– जय हर हरी जय…
View More जय हर हरी जय हर हरी……. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रशीष गंग अर्द्धंग पार्वति………. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है शिव जी पर लिखी गई मेरी ये रचना जिसमें मैने भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग का समावेश किया है :—– शीष गंग अर्द्धंग…
View More शीष गंग अर्द्धंग पार्वति………. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रशिव शंभू हमारा निराला रे……….. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
शिव जी के निरालेपन पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना:—– शिव शंभू हमारा निराला रे । शमसान भस्म बदन पर धारे, गरवा में सर्पों की…
View More शिव शंभू हमारा निराला रे……….. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रओ डमरू वाले बाबा दिखा राह रे…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है औढरदानी भोलेनाथ पर लिखी मेरी ये रचना :——- ओ डमरू वाले बाबा दिखा राह रे । ममता की पट्टी बँधी आँख रे ।…
View More ओ डमरू वाले बाबा दिखा राह रे…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रश्री महादेव शिव अवढरदानी……….. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
शिव जी पार्वती जी के साथ अपने धाम कैलाश पर्वत पर कैसी शोभा पा रहे हैं, इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना:—- …
View More श्री महादेव शिव अवढरदानी……….. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रश्री शिव स्तुति ……….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
नमामि नमामि नमन शंकरम् । वाम भागे विराजे शैल नन्दिनी, अंक धारे गणाधीश जग बन्दनम् । नमामि नमामि नमन शंकरम् । गौर वर्णम् जटाजूट…
View More श्री शिव स्तुति ……….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रश्री शिव वन्दना …….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
हे आशुतोष महेश शंकर, महादेव महेश्वरम् । हिमवान कन्या वाम भागे, अंक गौरी नन्दनम् । कर्पूर गौरं करुणा सागर, त्रिपुर दुष्ट निकन्दनम्।। हे आशुतोष महेश…
View More श्री शिव वन्दना …….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रजानकी नन्दनम् जानकी नन्दनम्…….. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
लव कुश के जन्म पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना:—– जानकी नन्दनम् जानकी नन्दनम् । जनमें बन में दोउ चन्द, सिय सुखकन्दनम् ।। जानकी नन्दनम्……………
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प्रभु के दर्शन के लिए भक्त की व्याकुलता को दर्शाती प्रस्तुत है मेरी यह रचना:—- चरन तुम्हारे पावन रघुबर, दर्शन को हैं प्यासे नैना ।…
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