डगर में छेड़ो न मोहे नन्दराइ……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

कृष्ण गोपियों को बहुत सताते हैं । राह चलते उन्हें छेड़ते हैं । गोपियाँ कहती हैं कि मैया से हम तुम्हारी शिकायत करेगीं। इसी प्रसंग…

View More डगर में छेड़ो न मोहे नन्दराइ……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

अवध में गुनी एक आयो जी ……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

जब शिव जी ने सुना कि भगवान राम का जन्म हो गया है तो दर्शन की लालसा से ज्योतिषी का वेष बना कर अवध की…

View More अवध में गुनी एक आयो जी ……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

हे राधा तूने मुरली काहे चुराई……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है मेरी ये रचना राधा और कृष्ण की नोक झोंक :—— हे राधा तूने मुरली काहे चुराई । ना तेरी बैरन ना तेरी सौतन…

View More हे राधा तूने मुरली काहे चुराई……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

दशरथ कौशल्या के प्रेम के वश……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

बालक राम अपने बाल चरित्र के द्वारा कैसे सबके मन को हर लेते हैं इसी प्रसंग पर सवैया में प्रस्तुत है मेरी ये रचना:—– दशरथ…

View More दशरथ कौशल्या के प्रेम के वश……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

खेलैबो ललना नन्द बाबा जी के अँगना……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

एक युवती ने सुना कि नन्द और यशोदा के घर बहुत सुन्दर लाल का जन्म हुआ है तो उसके मन में उस बालक के दर्शन…

View More खेलैबो ललना नन्द बाबा जी के अँगना……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

अवध में आग बिरह के लागल……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

जब प्रभु श्रीराम वन के लिए प्रस्थान किए ऐसा हृदयविदारक दृश्य उत्पन्न हो गया जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता। राजा दशरथ राम राम कह…

View More अवध में आग बिरह के लागल……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

राम अवध में पधारे आज……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु श्री राम के बनवास से लौटने पर अयोध्या में अपरिमित आनन्द छाया हुआ है। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना:— राम अवध…

View More राम अवध में पधारे आज……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

भज मन राम चरन चित लाई ……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है प्रभु श्रीराम के चरणकमल की वन्दना मेरी रचना के माध्यम से :—– भज मन राम चरन चित लाई । रे भाई राम चरन…

View More भज मन राम चरन चित लाई ……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

अइलें रघुकुल ललनवाँ अवध नगरी……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

श्रीराम जी का जन्म हुआ है, अयोध्या में उत्सव मनाया जा रहा है, राजा दशरथ और सभी रानियाँ अन्न, धन, वस्त्र, सोना, चांदी, रत्न ,…

View More अइलें रघुकुल ललनवाँ अवध नगरी……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

श्री महादेव शिव अवढरदानी……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

शिव जी पार्वती जी के साथ अपने धाम कैलाश पर्वत पर कैसी शोभा पा रहे हैं, इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना:—- श्री…

View More श्री महादेव शिव अवढरदानी……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र