प्रभु श्रीराम के वनवास से अयोध्यावासी बहुत व्याकुल होकर कैकेई को गाली दे रहे हैं और कहते हैं कि इस दुर्बुद्धि कैकेई ने राम को…
View More अवध के लोगवा, देत है गारी ……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रCategory: DHARM
आयो बनवाँ से राम लखन और सिया……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
भगवान राम बन से अयोध्या लौटे हैं । तत्काल उनका राज्याभिषेक होता है । अयोध्या में उत्सव मनाया जा रहा है । अयोध्या को पूरी…
View More आयो बनवाँ से राम लखन और सिया……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रडगर में छेड़ो न मोहे नन्दराइ……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
कृष्ण गोपियों को बहुत सताते हैं । राह चलते उन्हें छेड़ते हैं । गोपियाँ कहती हैं कि मैया से हम तुम्हारी शिकायत करेगीं। इसी प्रसंग…
View More डगर में छेड़ो न मोहे नन्दराइ……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रअवध में गुनी एक आयो जी ……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
जब शिव जी ने सुना कि भगवान राम का जन्म हो गया है तो दर्शन की लालसा से ज्योतिषी का वेष बना कर अवध की…
View More अवध में गुनी एक आयो जी ……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रहे राधा तूने मुरली काहे चुराई……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है मेरी ये रचना राधा और कृष्ण की नोक झोंक :—— हे राधा तूने मुरली काहे चुराई । ना तेरी बैरन ना तेरी सौतन…
View More हे राधा तूने मुरली काहे चुराई……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रदशरथ कौशल्या के प्रेम के वश……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
बालक राम अपने बाल चरित्र के द्वारा कैसे सबके मन को हर लेते हैं इसी प्रसंग पर सवैया में प्रस्तुत है मेरी ये रचना:—– दशरथ…
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एक युवती ने सुना कि नन्द और यशोदा के घर बहुत सुन्दर लाल का जन्म हुआ है तो उसके मन में उस बालक के दर्शन…
View More खेलैबो ललना नन्द बाबा जी के अँगना……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रअवध में आग बिरह के लागल……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
जब प्रभु श्रीराम वन के लिए प्रस्थान किए ऐसा हृदयविदारक दृश्य उत्पन्न हो गया जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता। राजा दशरथ राम राम कह…
View More अवध में आग बिरह के लागल……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रराम अवध में पधारे आज……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्री राम के बनवास से लौटने पर अयोध्या में अपरिमित आनन्द छाया हुआ है। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना:— राम अवध…
View More राम अवध में पधारे आज……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रभज मन राम चरन चित लाई ……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है प्रभु श्रीराम के चरणकमल की वन्दना मेरी रचना के माध्यम से :—– भज मन राम चरन चित लाई । रे भाई राम चरन…
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