विष्णु बिरंचि शिव तीनों बने ललना…….   ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

एक बार ब्रह्मा, विष्णु और शिव साधु का वेष धारण कर माता अनुसूईया जी के पतिव्रत धर्म की परीक्षा लेने उनके आश्रम पर पहुँचे और…

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जगत में नहीं अमर कोइ प्रानी…….   ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

संसार में कोई अमर होकर नहीं आया है। जो भी इस पृथ्वी पर आया है उसका एक दिन जाना निश्चित है। मनुष्य जोड़ तोड़ कर…

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आज से चातुर्मास शुरू हो रहा है

आज से चातुर्मास शुरू हो रहा है. हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से चातुर्मास प्रारंभ हो जाता है, जो कि…

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चुनरी का रंग पाका, हमार प्रभु……   ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

इस मानव शरीर को चुनरी की संज्ञा दी गई है। यह चुनरी जब इस संसार में आती है तो बिल्कुल स्वच्छ और निर्मल रहती है…

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प्रभु जी कि माया के वश ……   ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु की माया के वश होकर मनुष्य प्रभु को भूल जाता है और जब अन्त समय आता है तो भरपेट पछताता है पर ज्योंहीं वह…

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भए असमर्थ जगत के स्वामी…….   ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

आज मैं प्रभु श्रीराम की असमर्थता (लीला की दृष्टि से) पर अपनी रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ। प्रभु श्रीराम तो सर्वसमर्थ हैं, उनमें भला असमर्थता…

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हे कृपालु दयालु रघुबर…….   ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है छन्द में लिखी गई मेरी ये रचना शरणागत भजन के रूप में :—– हे कृपालु दयालु रघुबर, शरन आयो तार दो। मैं कामि…

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लागी लगन मोहे राम चरनन, मगन भयो मन भजन में……..   ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है छन्द में लिखी मेरी ये रचना शरणागत भजन के रूप में :— लागी लगन मोहे राम चरनन, मगन भयो मन भजन में ।…

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कब लोगे खबर मोरे राम……… ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना:— कब लोगे खबर मोरे राम , मैं तो आयो शरन में । मैं कामी क्रोधी…

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बिराजो मन मन्दिर रघुबीर …………ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

जब श्री रघुबीर जी मन मन्दिर में विराजमान होगें तो फिर किस लिए मन्दिर मन्दिर तीर्थ तीर्थ भटकना ? हे प्राणी तू मन को ही…

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