प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना:—– दुख कौन हरे बिन तेरे, रघुबीर कृपालू मेरे । जब से संसार में आया, ममता…
View More दुख कौन हरे बिन तेरे……ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रCategory: DHARM
कैसी करुणा प्रभू ने दिखाई……ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना जिसमें मैने प्रभु से कृतज्ञता प्रकट की है कि हे प्रभु आपने मुझ पर इतनी…
View More कैसी करुणा प्रभू ने दिखाई……ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रहैं प्रेम के भूखे प्रभु जी……ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु तो प्रेम के भूखे होते हैं और प्रेम हीं ग्रहण करते हैं। राधा, मीरा, हनुमान जी, शबरी के प्रेम के वश हो कर हीं…
View More हैं प्रेम के भूखे प्रभु जी……ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रश्रीकृष्ण हरे श्रीराम हरे……ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है मेरी रचना संकीर्तन श्रीकृष्ण हरे श्रीराम हरे :—– श्रीकृष्ण हरे श्रीराम हरे । बिदुरानी के छिलके खाए , द्रुपदसुता की लाज बचाए ,…
View More श्रीकृष्ण हरे श्रीराम हरे……ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रराखहु लाज हमार प्रभू जी……..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
द्रौपदी ने जब आर्त होकर प्रभु को पुकारा तो प्रभु ने उसकी लाज रखी। प्रस्तुत है द्रौपदी चीरहरण पर मेरी ये रचना:— राखहु लाज हमार…
View More राखहु लाज हमार प्रभू जी……..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रअब तो राखो लाज मुरारी…..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
द्रौपदी चीरहरण पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना:—– मैं दुखिया शरन तुम्हारी, अब तो राखो लाज मुरारी । बीच सभा में दुष्ट दुशासन, खींचत चीर…
View More अब तो राखो लाज मुरारी…..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रहे गोविन्द हे गोपाल राखु लाज मोरी……ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
द्रौपदी ने जब आर्त हो कर प्रभु को पुकारा तो प्रभु ने उसकी लाज रखी। प्रस्तुत है द्रौपदी चीरहरण पर मेरी ये रचना :—- हे…
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बोकारो ः तुपकाडीह स्टेशन रोड स्थित शक्ति स्थल मां दुर्गा मंदिर का 21वां स्थापना दिवस सोमवार को विधि-विधान के साथ मनाया गया। पुरोहित विकास पांडेय ने मंदिर…
View More तुपकाडीह दुर्गा मंदिर का मना 21वां स्थापना दिवसप्रभू जी रखियो लाज हमार…..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है द्रौपती के चीर हरण के प्रसंग पर मेरी ये रचना द्रौपती की आर्त पुकार :——- ओ माधव मदन मुरार , प्रभू जी रखियो…
View More प्रभू जी रखियो लाज हमार…..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रतुम कहाँ हो छुपे नन्द नन्दन हरी……. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना :—– तुम कहाँ हो छुपे नन्द नन्दन हरी । मैं तो खोजूँ तुझे बन बन…
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