– Purnendu pusspesh आजकल दुनिया बदल चुकी है। पहले लोग सुबह उठकर अखबार की सुर्खियाँ पढ़ते थे, आज जागते ही मोबाइल उठाते हैं और…
View More आज़ादी की हद या हद से ज़्यादा आज़ादी?Category: EDITORIAL
क्या ममता बनर्जी का राजनीतिक अंत शुरू हो चुका है?
– पूर्णेन्दु पुष्पेश पश्चिम बंगाल की राजनीति फिर एक निर्णायक मोड़ पर है। यह वही राज्य है जिसने कभी वाम दलों को लगातार 34 वर्षों…
View More क्या ममता बनर्जी का राजनीतिक अंत शुरू हो चुका है?असफलता पराजय नहीं है -यह समझना आवश्यक है
– पूर्णेन्दु ‘पुष्पेश’ आज पचपन वर्ष की उम्र पार करने के बाद यह बात जितनी स्पष्ट और गहरी समझ में आती है, काश उतनी ही…
View More असफलता पराजय नहीं है -यह समझना आवश्यक हैयह समय राष्ट्रवाद-जाप का नहीं -मुखर राष्ट्रवाद का है
Not a Time to Whisper Patriotism; But to Declare Vocal Nationalism – Purnendu Pusspesh (Editor) राष्ट्र चिंतन से राष्ट्र निर्माण तक -यह केवल एक…
View More यह समय राष्ट्रवाद-जाप का नहीं -मुखर राष्ट्रवाद का हैडिजिटल दौर में महिलाओं की लड़ाई: हिंसा का नया चेहरा और समाज की पुरानी चुप्पी
– पूर्णेन्दु ‘पुष्पेश’ दुनिया जितनी आगे बढ़ रही है, उतनी ही तेजी से एक सच्चाई सामने आ रही है। महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा…
View More डिजिटल दौर में महिलाओं की लड़ाई: हिंसा का नया चेहरा और समाज की पुरानी चुप्पीबिहार बीजेपी की भूल : कायस्थों और यादवों की अनदेखी से फिसल सकता है जनाधार
– पूर्णेन्दु एस.’पुष्पेश’ बिहार की राजनीति में जातीय गणित केवल वोटों की गिनती नहीं है, यह सत्ता की कुंजी है। जो इसे समझ लेता…
View More बिहार बीजेपी की भूल : कायस्थों और यादवों की अनदेखी से फिसल सकता है जनाधारराहुल गांधी की राजनीति पर सवाल: युवाओं को भटकाने की कोशिश या लोकतंत्र की चुनौती?
– पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘ भारतीय राजनीति में विवाद, आरोप-प्रत्यारोप और वैचारिक टकराव कोई नई बात नहीं है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह सब सामान्य…
View More राहुल गांधी की राजनीति पर सवाल: युवाओं को भटकाने की कोशिश या लोकतंत्र की चुनौती?क्यों अमेरिका भारत से भयभीत है?
– पूर्णेन्दु ‘पुष्पेश ‘ विश्व राजनीति के इतिहास में अमेरिका लंबे समय तक एकमात्र शक्ति केंद्र माना जाता रहा है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद…
View More क्यों अमेरिका भारत से भयभीत है?भीड़ के पीछे मत भागिए, सोच-समझकर चुनिए अपना आदर्श
सम्पादकीय : पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘ आज की दुनिया सोशल मीडिया की दुनिया है। हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और एक्स…
View More भीड़ के पीछे मत भागिए, सोच-समझकर चुनिए अपना आदर्श‘अतीत से सीखो, वर्तमान को जियो’-अतीत की भूलों से सबक लेकर बनेगा सशक्त भारत
– पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘ (स्वतंत्रता दिवस विशेष ) आज़ाद भारत की कहानी जितनी प्रेरक है, उतनी ही पेचीदा भी। जब 15 अगस्त 1947 को…
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