– पूर्णेन्दु पुष्पेश …. कांग्रेस कभी भारत की आज़ादी की लड़ाई का केंद्रीय स्तंभ रही थी। उस दौर में मतभेद थे, रणनीतिक गलतियाँ भी थीं,…
View More आज की कांग्रेस को देश के सामने अपना वास्तविक एजेंडा स्पष्ट करना होगाCategory: EDITORIAL
हिंदू मरते रहें, और वे कहते रहें -सब ठीक है
पूर्णेन्दु पुष्पेश . बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ जो हो रहा है, उसे अब “अलग-थलग घटना” कहकर टालना खुद से झूठ बोलने जैसा है। यह…
View More हिंदू मरते रहें, और वे कहते रहें -सब ठीक हैजड़ों से जुड़ती नई पीढ़ी ही भारत का भविष्य
– पूर्णेन्दु पुष्पेश भारत आज जिस मोड़ पर खड़ा है, वहां सबसे बड़ा सवाल यह नहीं है कि हमारे पास कितनी तकनीक है या हमारी…
View More जड़ों से जुड़ती नई पीढ़ी ही भारत का भविष्यविकास का नया मतलब
– Purnendu Pusshpesh भारत आज जिस दौर से गुजर रहा है, वह सिर्फ सड़क, पुल, तकनीक और जीडीपी का दौर नहीं है। यह दौर सोच…
View More विकास का नया मतलबनए केंद्रीय अध्यक्ष और झारखण्ड की राजनीति में पुनर्संतुलन की चुनौती
– पूर्णेन्दु पुष्पेश अपनी कर्मठता और सुविवेक के लिए जाने जाने वाले नितिन नबीन के भाजपा का कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद झारखण्ड में…
View More नए केंद्रीय अध्यक्ष और झारखण्ड की राजनीति में पुनर्संतुलन की चुनौतीनामों से आगे बढ़कर व्यवस्था में राष्ट्रचेतना का संचार आवश्यक
– पूर्णेन्दु पुष्पेश रायसीना की पहाड़ियों पर चल रहा परिवर्तन किसी इमारत पर नया बोर्ड लगाने की औपचारिकता नहीं, बल्कि भारतीय प्रशासनिक चेतना के पुनर्जागरण…
View More नामों से आगे बढ़कर व्यवस्था में राष्ट्रचेतना का संचार आवश्यकलोकतंत्र की रक्षा का समय -देश पहले, राजनीति बाद में
– पूर्णेन्दु पुष्पेश आज देश एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है, जहां नागरिक सिर्फ विकास नहीं, बल्कि व्यवस्था की ईमानदारी भी चाहते हैं। मतदाता सूची…
View More लोकतंत्र की रक्षा का समय -देश पहले, राजनीति बाद मेंआज़ादी की हद या हद से ज़्यादा आज़ादी?
– Purnendu pusspesh आजकल दुनिया बदल चुकी है। पहले लोग सुबह उठकर अखबार की सुर्खियाँ पढ़ते थे, आज जागते ही मोबाइल उठाते हैं और…
View More आज़ादी की हद या हद से ज़्यादा आज़ादी?क्या ममता बनर्जी का राजनीतिक अंत शुरू हो चुका है?
– पूर्णेन्दु पुष्पेश पश्चिम बंगाल की राजनीति फिर एक निर्णायक मोड़ पर है। यह वही राज्य है जिसने कभी वाम दलों को लगातार 34 वर्षों…
View More क्या ममता बनर्जी का राजनीतिक अंत शुरू हो चुका है?असफलता पराजय नहीं है -यह समझना आवश्यक है
– पूर्णेन्दु ‘पुष्पेश’ आज पचपन वर्ष की उम्र पार करने के बाद यह बात जितनी स्पष्ट और गहरी समझ में आती है, काश उतनी ही…
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