बेरमो में कोयला माफिया का बोलबाला—जांच कमजोर या जानबूझकर आंख बंद?

Editorial by Purnendu Sinha ‘Pushpesh’ झारखंड के बेरमो क्षेत्र में कोयले के अवैध उत्खनन का सिलसिला एक बार फिर सुर्खियों में है। बीते कुछ महीनों…

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खोता बचपन, जागती व्यवस्था

Editorial by : Purnendu Sinha ‘Pushpesh’    झारखंड, एक आदिवासी बहुल राज्य, अपने सांस्कृतिक वैभव और प्राकृतिक संसाधनों के बावजूद आज देश में बच्चों की…

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बाल श्रम का ज़हर: आँकड़ों की चुप्पी, प्रशासन की मौनस्वीकार्यता

सम्पादकीय : पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश’      भारत में बाल श्रम को लेकर जितनी संवेदनशील बातें होती हैं, ज़मीनी सच्चाई उससे उतनी ही क्रूर है।…

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बोकारो में संस्कृति की वापसी : एक उपायुक्त की साहित्यिक चेतना और कलाकारों की आशा

संपादकीय: — पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश’ बोकारो जिला लंबे समय से केवल उद्योग और उत्पादन का परिचय बनकर रह गया था। इस शहर की पहचान लौह…

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जनप्रतिनिधित्व की साख पर सवाल: श्वेता सिंह प्रकरण और लोकतंत्र की परीक्षा

सम्पादकीय : पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘  किसी भी लोकतंत्र की रीढ़ उसकी पारदर्शी और जवाबदेह राजनीतिक व्यवस्था होती है। और जब वही व्यवस्था सवालों के…

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तीखी कूटनीति : आतंकवाद के खिलाफ भारत की वैश्विक हुंकार

सम्पादकीय – पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘    ‘ऑपरेशन ‘सिन्दूर ‘ के बाद हमें इस समय की बदलती रणनीति को गंभीरता से समझना चाहिए। भारत अब…

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भ्रष्टाचार की हाँडी और नौकरशाही का काला चावल

सम्पादकीय : पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘ झारखंड की धरती एक बार फिर उसी दाग़ से सनी है, जो बरसों से इसकी छवि को मलिन करता रहा…

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बोकारो की जनता को बहकाना नहीं, सच्चाई बताना जरूरी है

सम्पादकीय: पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘   लोकतंत्र की बुनियाद उस भरोसे पर टिकी होती है जो जनता अपने प्रतिनिधियों पर करती है। जब यह भरोसा टूटता…

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देशहित से पृथक विपक्ष: एक सुनियोजित आत्मविनाश

सम्पादकीय : पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘ अजीब दौर है देश का — एक तरफ भारत दुनिया को अपनी सैन्य क्षमता और कूटनीतिक समझ से अचंभित…

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