– पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘ (स्वतंत्रता दिवस विशेष ) आज़ाद भारत की कहानी जितनी प्रेरक है, उतनी ही पेचीदा भी। जब 15 अगस्त 1947 को…
View More ‘अतीत से सीखो, वर्तमान को जियो’-अतीत की भूलों से सबक लेकर बनेगा सशक्त भारतCategory: Literature
‘उमेद’ (भोजपुरी कविता) — पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश’
‘उमेद’(भोजपुरी कविता) ई आखिर कवन चीज़ के — तोर-मोर?केकरा से — तोर-मोर?! एक्के अंगना में खेललऽ,एक्के अंगना में पललऽ,सनातन से इहे माटी में बढ़लऽ!आ आज…
View More ‘उमेद’ (भोजपुरी कविता) — पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश’प्रेमचंद की मूछें…— डॉ. प्रशांत करन
आज हिंदी के कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद @ धनपत राय श्रीवास्तव की जन्म जयंती मनाई जा रही है। आज उनकी अधिकतर छवि श्वेत कुर्ते में…
View More प्रेमचंद की मूछें…— डॉ. प्रशांत करनबंटवारा माता–पिता का….– डॉ. प्रशान्त करण
स्वामी राजेशानंद का प्रवचन चल रहा था। स्वामी कह रहे थे—”सुनो भक्तों! कल रात ही स्वप्न में मुझे नारद जी एक प्रसंग सुना गए हैं।…
View More बंटवारा माता–पिता का….– डॉ. प्रशान्त करणआत्ममंथन…. — डॉ. प्रशान्त करण
रात्रि के साढ़े दस बजे थे। दिनचर्या के गणित से मैं सोने जाने को हुआ। बाहर का द्वार बंद कर मुड़ा ही था कि किसी…
View More आत्ममंथन…. — डॉ. प्रशान्त करणझारखंड में पत्रकारों की पेंशन योजना: वादों से आगे कब बढ़ेगी सरकार?
– पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘ बिहार सरकार द्वारा हाल ही में पत्रकारों की पेंशन राशि को ₹6,000 से बढ़ाकर ₹15,000 किए जाने और उनके निधन…
View More झारखंड में पत्रकारों की पेंशन योजना: वादों से आगे कब बढ़ेगी सरकार?प्रेम में है शक्ति अपार ….— डॉ. प्रशान्त करण
प्रेम करना ठठ्ठा नहीं है। हर किसी से नहीं निभता। कहते हैं, जो निभाता है या जिसका जैसे-तैसे निभ जाए — दोनों पक्षों की नींद…
View More प्रेम में है शक्ति अपार ….— डॉ. प्रशान्त करणरहस्यमय रिश्ता… — डॉ. प्रशान्त करण
आज अजीब वाकिया हुआ। तड़के सुबह रवि बाबू अपनी फटफटिया से मुझे साथ लेकर रामलाल जी के यहाँ पहुँच गए। दस मिनट तक साँकल बजाने…
View More रहस्यमय रिश्ता… — डॉ. प्रशान्त करणपाकिस्तान, अब तो अपनी ब्लैक मनी को काम में ले ही लो!
-पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘ एक ख्याल आया और मुस्कान छूट गई। फिर सोचा — हँसी में टाल देने जैसी भी नहीं है यह बात।…
View More पाकिस्तान, अब तो अपनी ब्लैक मनी को काम में ले ही लो!चित्रगुप्त से कही गयी गौरैया पीड़ा कथा -डॉ प्रशान्त करण
चित्रगुप्त जी को अपनी नींद और अपना ऐशोआराम बड़ा प्रिय था। इससे उनके अहंकार का पौधा वटवृक्ष बन खूब फैलने लगा था। परिवारवाद ने यह…
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