उठना कदम का……- डॉ प्रशान्त करण

हम भारतवर्ष के गर्वित देशवासी एक से बड़ी एक विशाल समस्याओं से नहीं डरते। हम बड़ी हिम्मत के साथ उन्हें सफलतापूर्वक अनदेखा करते रहे हैं।…

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बनना नए कीर्तिमान का ……- डॉ प्रशान्त करण

नए कीर्तिमान बना देना बहुत कठिन कार्य है। यह वर्षों के कठिन परिश्रम से होता है। और नए कीर्तिमान को स्वयं ही काटकर और नया…

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तैयारी चुनाव की – एक. …………- डॉ. प्रशान्त करण

रामलाल जी, शशि बाबू की सलाह पर संभावित प्रत्याशियों को साधने की टोह में निकले। किसी दल ने अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए, जानकर असमंजस…

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दिन जरूर फिरेंगे………….-डॉ प्रशान्त करण

सत्येंद्र बाबू बहुत परेशानी में चल रहे थे। नौकरी लगे तो तेरह साल हो गए, तभी से वे रिसीट-डिस्पैच सेक्शन में ही लगे हैं। ऐसा…

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चुनाव आया………- डॉ प्रशान्त करण

“क्या रामलाल जी? आज अचानक कमीज-पतलून छोड़कर सीधे श्वेत कुर्ता-धोती के परिधान में आ गए?” शशि बाबू ने टोक दिया। “रामलाल – अरे शशि बाबू,…

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साक्षात्कार दशहरे पर …………. डॉ प्रशान्त करण

खबरीलाल पिछले तीन दिनों से दुर्गा पूजा पंडालों , शहर के मुख्य सड़कों और थानों का चक्कर लगाकर अपराधों के समाचार एकत्रित कर रहे थे…

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नेता को खबर चाहिए, मीडिया को पैकेज: लोकतंत्र की दुकानदारी

सम्पादकीय : पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश’।   चुनावों के समय हर बार कुछ मुद्दे सुर्खियों में आ जाते हैं, जिन पर समाज का ध्यान अनिवार्य रूप से…

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अंतर्द्वंद्व………….. -डॉ प्रशान्त करण

अंतर्द्वंद्व से मेरा बड़ा पुराना नाता रहा है।बचपन में खेल-कूद में इतना मन रमता था कि पढ़ने के प्रति मन में अंतर्द्वंद्व रहता।जब खेल के…

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प्रेम की पगडंडी……….-डॉ प्रशान्त करण

आजकल देश में पगडंडियों का जमाना है।कोई भी मंज़िल सीधे रास्ते से नहीं मिलती।पगडंडियों से,शॉर्टकट से जाओ तो तुरन्त ही मिलती है।यह पगडंडियाँ मंज़िल के…

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हिंदी दिवस और धिक्कार…….— डॉ प्रशान्त करण

आज अंग्रेजी तिथि चौदह सितंबर है और इसे हिंदी दिवस के रूप में चिन्हित किया गया है.वर्षों से हम इसी अंग्रेजी तिथि को हिंदी दिवस…

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