राजनीतिक परिपक्वता विरासत में नहीं मिलती: राहुल गांधी का नया आडम्बर

-पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश’

दिवाली के मौके पर इस नए आडम्बर से राहुल एक साथ दो निशाने लगाने की कोशिश कर रहे हैं। एक तो मुस्लिम तुष्टिकरण में लिप्त कांग्रेस की छवि को इन चुनावों में धूमिल करने को कोशिश। साथ ही मज़दूर वर्ग जो मूलतः भोला होता है उन्हें भरमाने की कोशिश। महाराष्ट्र और झारखण्ड में मजदूरवर्ग की बहुतायत है। क्या पता कुछ तीर निशाने पर लग जाएं ! आज़ादी के बाद से कांग्रेस ने हिन्दू परम्पराओं का बहुत विनाश किया है। राहुल की य कोशिशे हिन्दुओं को फिर से भर्मित करने की कोशिश दिख पड़ती हैं

दिवाली के मौके पर राहुल गांधी ने जो नया आडम्बर पेश किया है, वह कई राजनीतिक दृष्टिकोणों को सामने लाता है। उनका हालिया वीडियो जिसमें वे पेंटर बनकर मजदूरों के साथ पुट्टी करते दिखाई दे रहे हैं, न केवल उनकी व्यक्तिगत छवि को चमकाने की कोशिश है, बल्कि इसका उद्देश्य उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को भी चुनौती देना है। इस वीडियो में राहुल गांधी ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि “मेरे पिता की मृत्यु यहीं हुई थी, इसलिए मैं इस घर का बहुत बड़ा प्रशंसक नहीं हूं।” यह बयान एक तरफ उनके पारिवारिक इतिहास को उजागर करता है, वहीं दूसरी ओर यह भी दर्शाता है कि वे किस तरह से अपने निजी अनुभवों को राजनीतिक बयानों में परिवर्तित कर रहे हैं।

राहुल का यह प्रयास, जोकि “एक दिवाली उनके साथ, जिनकी मेहनत से रौशन है भारत” जैसे कैप्शन के साथ साझा किया गया है, वास्तव में श्रमिक वर्ग के प्रति सहानुभूति दिखाने का प्रयास है। लेकिन क्या यह सच में मजदूरों के मुद्दों को समझने का प्रयास है, या केवल एक राजनीतिक स्टंट? यह सवाल अब आम जनता के मन में उठने लगा है।

मजदूरों की समस्याओं की सुनवाई: एक आडम्बर या सच्चा प्रयास?
वीडियो में राहुल गांधी ने पुट्टी लगाते हुए मजदूरों से बातचीत की और उनकी समस्याओं को सुना। कांग्रेस पार्टी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर इस वीडियो की तस्वीरें साझा की, जिसमें लिखा गया है, “जननायक राहुल गांधी ने पेंटर साथियों के काम में हाथ बटाया और उनके काम से जुड़ी समस्याओं पर बात की।” यह सुनने में अच्छा लगता है कि एक नेता अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और श्रमिकों की समस्याओं पर ध्यान दे रहा है, लेकिन क्या यह केवल एक आडम्बर नहीं है? क्या केवल एक दिन का यह प्रयास उनकी दीर्घकालिक नीति का हिस्सा है?

आधुनिक राजनीति में इस प्रकार के प्रयास चुनावी मौसम की विशेषता बन चुके हैं। नेताओं द्वारा ऐसे स्टंट का उद्देश्य जनता के साथ जुड़ाव बढ़ाना होता है, लेकिन क्या यह मात्र चुनावी रणनीति है? यदि राहुल गांधी का यह प्रयास श्रमिकों के मुद्दों को हल करने की दिशा में एक ठोस कदम है, तो इसे सराहा जाना चाहिए। लेकिन यदि यह केवल एक प्रचार का तरीका है, तो इसे नकारा जाना चाहिए।

आडम्बरों की राजनीति: एक गंभीर सवाल
आडम्बरों की राजनीति आज के समय में एक गंभीर मुद्दा बन चुकी है। नेता अक्सर अपनी छवि को सुधारने के लिए ऐसे प्रयास करते हैं, लेकिन अब जनता में समझदारी बढ़ रही है। वे देख रहे हैं कि कौन सच में उनके लिए काम कर रहा है और कौन केवल दिखावे के लिए। राहुल गांधी का प्रयास एक तरफ जहां श्रमिकों के प्रति सहानुभूति दिखाता है, वहीं दूसरी ओर यह राजनीति के उस खेल का हिस्सा भी है, जहां नेताओं को अपनी छवि बचाने की कोशिश करनी होती है।

क्या यह संभव है कि राजनीतिक नेता अपने कार्यों से जनता का विश्वास जीतें और आडम्बरों से परे जाकर सच्ची राजनीतिक परिपक्वता प्रदर्शित करें? यह सवाल सिर्फ राहुल गांधी के प्रयासों पर नहीं, बल्कि सभी राजनीतिक नेताओं पर लागू होता है। हमें यह देखना होगा कि क्या वे केवल अपने राजनीतिक लाभ के लिए जनता के बीच में हैं, या सच में वे बदलाव लाने की इच्छा रखते हैं।

वस्तुतः राजनीति में परिपक्वता विरासत में नहीं मिलती। यह उन कार्यों से निर्मित होती है जो नेता अपनी जनता के लिए करते हैं। राहुल गांधी का यह नया आडम्बर हमें सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम नेताओं से अपेक्षाएं रख सकते हैं कि वे अपने कार्यों से हमें प्रभावित करें और हमें दिखावे से परे एक सच्चा परिवर्तन दें? यह समय है जब राजनीतिक दलों को केवल आडम्बरों से बाहर निकलकर सच्ची समस्याओं की ओर ध्यान देना चाहिए और वास्तविकता में लोगों की भलाई के लिए काम करना चाहिए। तभी वे राजनीति में अपने स्थान को मजबूत कर सकेंगे।

राहुल गांधी का यह प्रयास एक नए संवाद की शुरुआत हो सकती है, लेकिन इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि वे अपने कार्यों में निरंतरता बनाए रखें। केवल चुनावी समय में आडम्बरों का सहारा लेना ही उन्हें राजनीतिक परिपक्वता की ओर नहीं ले जाएगा। राजनीतिक परिपक्वता, असल में, तब ही हासिल होगी जब नेता सच्ची समस्याओं के समाधान के लिए समर्पित हों और सभी वर्गों की जनता की आवाज को सुनें।