सम्पादकीय : प्रधानमंत्री मोदी का बजट: एक नए भारत की दिशा में ऐतिहासिक कदम

  • PURNENDU PUSHPESH, Chief Editor

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का प्रथम सम्पूर्ण बजट वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रस्तुत किया। यह बजट मौलिक सोच और दृष्टि से भारतीय अर्थव्यवस्था को एक चमकते सितारे के रूप में स्थापित करने तथा सुदृढ़ आर्थिक विकास के लिये आगे की राह दिखाने वाला है। इसमें समावेशी विकास, वंचितों को वरीयता, नौकरीपेशा वर्ग को राहत, बुनियादी ढांचे में निवेश, पर्यटन को बढ़ावा, आदिवासी उन्नयन, क्षमता विस्तार, हरित और कृषि विकास, महिलाओं और युवाओं की भागीदारी पर विशेष जोर दिया गया है।

वित्त मंत्री ने सरकार की 9 प्राथमिकताओं की घोषणा की है – खेती में उत्पादकता और मजबूती बढ़ाना, रोजगार और स्किल डेवलपमेंट, मानव संसाधन का समावेशी विकास और सामाजिक न्याय, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज, अर्बन डेलपमेंट, एनर्जी सिक्योरिटी, इंफ्रास्ट्रक्चर, इन्नोवेशन, रिसर्च एंड डेवलपमेंट, नेक्स्ट जेनरेशन रिफॉर्म्स। ये सभी प्राथमिकताएं देश को आत्मनिर्भर बनाने की रफ्तार को भी गति देंगी।

बजट में जहां बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष योजनाओं से जोड़ा गया है, वहीं महंगाई को नियंत्रित करने की मंशा भी साफ दिखाई दी है। विकास, स्टार्टअप और रोजगार सृजन के कार्यक्रमों पर विशेष ध्यान दिया गया है। यह बजट देश को न केवल विकसित देशों में बल्कि इसकी अर्थव्यवस्था को विश्व स्तर पर तीसरे स्थान दिलाने के संकल्प को बल देने में सहायक बनेगा। सातवीं बार बजट प्रस्तुत कर वित्तमंत्री सीतारमण ने पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई द्वारा स्थापित रिकॉर्ड को तोड़ दिया है।

सशक्त और विकसित भारत निर्मित करने, उसे दुनिया की आर्थिक महाशक्ति बनाने और अर्थव्यवस्था को तीव्र गति देने की दृष्टि से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत आम बजट इसलिए विशेष रूप से उल्लेखनीय है, क्योंकि मोदी सरकार ने देश के आर्थिक भविष्य को सुधारने पर ध्यान दिया है, न कि लोकलुभावन योजनाओं के जरिये प्रशंसा पाने अथवा कोई राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की है।

इस बजट में मध्यम वर्ग को 7 लाख रुपये तक की कुल कमाई करने वालों को बड़ी राहत दी गई है। नए टैक्स रिजीम के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 75 हजार रुपये कर दी गई है। साथ ही नए टैक्स रिजीम में टैक्स स्लैब में बदलाव किया गया है। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स में भी कुछ अहम बदलाव किए गए हैं। मौजूदा नियमों के तहत एक वित्त वर्ष के दौरान अधिकतम 1 लाख रुपये तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर कोई टैक्स नहीं लगता है, इस लिमिट को बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये सालाना कर दिया गया है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नवाचार, अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिये बुनियादी अनुसंधान और प्रोटोटाइप विकास के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान कोष की स्थापना की घोषणा की। वाणिज्यिक स्तर पर निजी क्षेत्र द्वारा संचालित अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का वित्तपोषण पूल भी बनाया जाएगा। मोबाइल फोन और मोबाइल पीसीबीएस तथा मोबाइल चार्जर पर बीसीडी को घटाकर 15 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है। वित्तीय घाटा 2024-25 तक सकल घरेलू उत्पाद का 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है, और इसे 4.5 प्रतिशत से नीचे पहुंचाने का लक्ष्य है।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना चरण 4 के तहत 25,000 ग्रामीण बस्तियों को सभी मौसमों के अनुकूल सड़कों से जोड़ा जाएगा। कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास बनाए जाएंगे। छात्रावासों और क्रेच के माध्यम से कार्यबल में महिलाओं की अधिक भागीदारी को बढ़ावा दिया जाएगा। सरकार समग्र विकास के लिए राष्ट्रीय सहयोग नीति लाएगी। घरेलू संस्थानों में उच्च शिक्षा के लिए 10 लाख तक के ऋण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने का भी प्रस्ताव है।

इस वर्ष शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। यह बजट भारत की अर्थव्यवस्था को तीव्र गति देने की दृष्टि से कारगर साबित होगा, जिसके दूरगामी सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे, रोजगार के नए अवसर सामने आएंगे, उत्पाद और विकास को तीव्र गति मिलेगी। बजट हर वर्ष आता है, परंतु इस बार का बजट अर्थव्यवस्था में नयी परम्परा के साथ राहत की सांसें दी है और नया भारत – सशक्त भारत – विकसित भारत के निर्माण का संकल्प भी व्यक्त किया है।

आदिवासी समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान शुरू किया जाएगा। इससे 63,000 गांवों को कवर किया जाएगा, जिससे 5 करोड़ आदिवासी लोगों को लाभ होगा। बजट में पर्यटन पर विशेष बल दिया गया है। भारत को वैश्विक गंतव्य के रूप में स्थापित करने के सरकार के प्रयासों से रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

इस बजट में कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास, रेलों का विकास, सड़कों और अन्य बुनियादी ढांचागत क्षेत्रों के विकास के साथ-साथ किसानों, आदिवासियों, गांवों और गरीबों को ज्यादा तवज्जो दी गयी है। जब तक जमीनी विकास नहीं होगा, तब तक आर्थिक विकास की गति सुनिश्चित नहीं की जा सकेगी।

संभवतः इस बजट को नया भारत निर्मित करने की दिशा में लोक-कल्याणकारी बजट कह सकते हैं। यह बजट वित्तीय अनुशासन स्थापित करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है। आम बजट न केवल आम आदमी के सपने को साकार करने, आमजन की आकांक्षाओं को आकार देने और देशवासियों की आशाओं को पूर्ण करने वाला है बल्कि यह देश को समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र बनाने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण एवं दूरगामी सोच से जुड़ा कदम है।

आजादी के अमृत काल में प्रस्तुत यह बजट निश्चित ही अमृत बजट है। जिसमें भारत के आगामी 25 वर्षों के समग्र एवं बहुमुखी विकास को ध्यान में रखा गया है। बीते कुछ सालों में नरेन्द्र मोदी ने इकॉनमी को मजबूत करने के लिए जो नींव रखी थी, अब उस पर मजबूत इमारत खड़ा करने का मौका है।

इस बजट में जो नई दिशाएं उद्घाटित हुई हैं, संतुलित विकास, भ्रष्टाचार उन्मूलन, वित्तीय अनुशासन एवं पारदर्शी शासन व्यवस्था का जो संकेत दिया गया है, सरकार को इन क्षेत्रों में अनुकूल नतीजे हासिल करने पर खासी मेहनत करनी होगी।