सम्पादकीय : पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश’।
भारतीय राजनीति में जातिगत समीकरण और चुनावी रणनीतियाँ अनिवार्य तत्व रही हैं, लेकिन वर्तमान समय में कांग्रेस और इंडी गठबंधन ने इसे अपने स्वार्थ के लिए एक नये स्तर पर पहुंचा दिया है। जैसे ही उन्हें यह आभास हुआ कि हिंदू समाज एकजुट हो रहा है, उन्होंने अपने पुराने हथकंडे अपनाने में कसर नहीं छोड़ी। यह रणनीति न केवल लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए खतरा बनती जा रही है, बल्कि यह समाज में व्याप्त एकता को भी तोड़ने का कार्य कर रही है।
जातिगत विभाजन का खेल
इस चुनावी मौसम में कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने जातियों के बीच विभाजन पैदा करने की एक सुनियोजित योजना बनाई है। जातिगत पहचान को भुनाने की इस रणनीति के तहत, ये नेता विभिन्न जातियों के बीच मतभेदों को उभारते हुए एक असहिष्णुता का माहौल तैयार कर रहे हैं। जब समाज में भेदभाव की लकीरें खींची जाती हैं, तो इसका प्रतिकूल प्रभाव समाज के समग्र विकास पर पड़ता है।
यह ध्यान देने वाली बात है कि भारतीय समाज एक बहुलवादी संरचना है, जहाँ विभिन्न जातियों, धर्मों, और संस्कृतियों का समागम होता है। ऐसे में जब कोई राजनीतिक दल केवल अपने स्वार्थ के लिए जातिगत राजनीति का सहारा लेता है, तो यह एक लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरनाक सिद्ध होता है। यह न केवल समाज में विघटन करता है, बल्कि इसके चलते हिंसा और तनाव भी बढ़ सकता है।
धर्म का राजनीतिक उपयोग
कांग्रेस पार्टी का यह मानना है कि यदि वह हिंदू समाज को आपस में लड़ाने में सफल हो जाती है, तो चुनावी लाभ हासिल कर सकती है। उनकी यह धारणा भले ही राजनीतिक रूप से लाभकारी हो, लेकिन यह सामाजिक असंतोष को जन्म देती है। पिछले कुछ चुनावों में हमने देखा है कि किस प्रकार धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल करके वोट बैंक बनाने की कोशिश की गई है।
इसी प्रकार, कांग्रेस ने पिछले चुनावों में कई बार धर्म का उपयोग अपने लाभ के लिए किया है। इसका एक उदाहरण 2019 के आम चुनावों में देखा गया, जब उन्होंने धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति का सहारा लिया। इस बार भी, उनका प्रयास यही है कि वे हिंदू समाज में विभाजन पैदा करें ताकि वे अपने पक्ष में अधिक से अधिक वोट प्राप्त कर सकें।
हिंदू एकता का महत्व
इस समय, हिंदू समाज को समझने की आवश्यकता है कि उनकी एकता ही उनकी ताकत है। जातिगत राजनीति और विभाजन की रेखाओं को मिटाते हुए, सभी हिंदुओं को एकजुट होकर एक सशक्त संदेश देना होगा। इससे न केवल राजनीतिक दलों को यह संदेश जाएगा कि वे लोगों के बीच विभाजन नहीं कर सकते, बल्कि यह लोकतंत्र को भी मजबूत करेगा।
हिंदू समाज में एकता का महत्व इस तथ्य में निहित है कि एकजुटता में बल है। जब समाज के लोग एक साथ खड़े होते हैं, तो वे अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं। इसके अलावा, एकजुटता के माध्यम से वे अपनी आवाज को अधिक प्रभावी ढंग से उठा सकते हैं। यही कारण है कि राजनीतिक दलों का प्रयास होता है कि वे समाज में बंटवारा करें, ताकि उनकी सामूहिक शक्ति कमज़ोर हो सके।
विपक्ष की कमजोरियाँ
कांग्रेस और इंडी गठबंधन की यह रणनीति उनकी असलियत को दर्शाती है। जब कोई राजनीतिक दल समाज के सभी वर्गों को एक साथ लाने का प्रयास करता है, तो उसे अपने हठधर्मिता और विभाजनकारी नीति को त्यागना होगा। एक सच्चे नेता का धर्म है कि वह समाज को जोड़ने का कार्य करे, न कि उसे बांटने का।
कांग्रेस के पिछले कार्यकाल में विभिन्न जातियों के बीच तनाव को बढ़ाने के प्रयास किए गए। इस प्रकार की राजनीति केवल सत्ता के लिए होती है और इससे समाज में असंतोष और विरोधाभास उत्पन्न होता है। जब लोग अपने नेता से केवल अपने स्वार्थ के लिए काम करने की उम्मीद करते हैं, तो वे उस नेता को समर्थन नहीं देते, बल्कि नफरत और असंतोष की भावना को जन्म देते हैं।
अधिकारों की रक्षा में जन जागरूकता
समाज को जागरूक करने के लिए, यह आवश्यक है कि लोग अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें। चुनावों में भागीदारी, राजनीतिक प्रक्रिया में सक्रियता और सही उम्मीदवार का चयन यह सब उस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। यह तभी संभव है जब लोग समझें कि उनके बीच की एकता और सामाजिक समरसता कितनी महत्वपूर्ण है।
राजनीतिक जागरूकता केवल वोट देने तक सीमित नहीं होनी चाहिए। लोगों को अपने अधिकारों, कर्तव्यों, और जिम्मेदारियों के बारे में भी जागरूक रहना होगा। जब लोग अपनी शक्ति को समझते हैं और एकजुट होकर अपनी मांगें रखते हैं, तो उन्हें एक नई दिशा और संबल मिलता है।
सामाजिक और धार्मिक एकता का निर्माण
विभाजन की राजनीति को समाप्त करने के लिए समाज में सामाजिक और धार्मिक एकता का निर्माण करना अनिवार्य है। जब विभिन्न धर्मों और जातियों के लोग मिलकर काम करते हैं, तो वे समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। इसके लिए आवश्यक है कि स्थानीय स्तर पर संवाद और समझ बढ़ाई जाए।
इस दिशा में, समुदायों को मिलकर सामाजिक कार्यों में भाग लेना चाहिए, जैसे कि स्वच्छता अभियान, शिक्षा कार्यक्रम, और स्वास्थ्य सेवाओं का वितरण। इससे न केवल सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि लोगों के बीच आपसी समझ भी बढ़ेगी। जब लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर कार्य करते हैं, तो वे स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे के प्रति संवेदनशील होते हैं।
एकता की आवश्यकता
कांग्रेस और इंडी गठबंधन द्वारा अपनाई गई विभाजनकारी राजनीति एक चेतावनी है। यह समय है जब हिंदू समाज को अपनी एकता का परिचय देना चाहिए। जातियों के बीच भेदभाव को समाप्त करते हुए, सभी को मिलकर एक सशक्त और संगठित प्रयास करना होगा। तभी वे न केवल अपने अधिकारों की रक्षा कर पाएंगे, बल्कि अपने समाज को एक नई दिशा भी दे पाएंगे।
राजनीतिक दलों के बयानों और उनके कार्यों को समझकर, समाज को एकजुट होना होगा। समाज की मजबूती में ही उसकी असली ताकत है। इस समय जब देश में राजनीतिक अस्थिरता है, तब यह आवश्यक हो जाता है कि समाज अपनी एकता को बनाए रखे।
सिर्फ एकजुट होकर ही हम उन राजनीतिक चालाकियों का सामना कर सकते हैं, जो हमें बांटने का प्रयास कर रही हैं। हमें याद रखना चाहिए कि एकता में ही बल है और हमारे सामूहिक प्रयास ही हमें उन चुनौतियों का सामना करने में मदद करेंगे, जो हमारे सामने हैं।
यह आवश्यक है कि हम अपने मत को समझें, सही जानकारी रखें और एकजुट होकर उन सभी नकारात्मक शक्तियों का मुकाबला करें, जो हमारे समाज को कमजोर करने का प्रयास कर रही हैं। केवल इसी तरह हम एक मजबूत और समृद्ध भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं।