प्रस्तुत है मेरी ये रचना शरणागत भजन के रूप में जिसमें मैने प्रभु से विनती की है कि आपने किसी न किसी बहाने से केंवट, शबरी,द्रौपदी,विदुरानी आदि को तारा। हे प्रभु कोई न कोई बहाना ढूंढ़ कर मुझे भी तारिये :—
हर तरफ प्रभु यही अफसाने हैं,
हम तेरे चरणों के दीवाने हैं ।
हर तरफ प्रभु यही………..
केंवट को तारे प्रभु जी,
नौका तो बहाने हैं ।
हर तरफ प्रभु यही…………
शबरी को तारे प्रभु जी,
बेर तो बहाने हैं ।
हर तरफ प्रभु यही…………
द्रौपदी को तारे प्रभु जी,
वस्त्र तो बहाने हैं ।
हर तरफ प्रभु यही…………
विदुरानी को तारे प्रभु जी,
छिलके तो बहाने हैं ।
हर तरफ प्रभु यही…………
हमको भी तारो प्रभु जी,
कितने हीं बहाने हैं ।
हर तरफ प्रभु यही…………
हम तेरे चरणों के दीवाने हैं ।
हर तरफ प्रभु यही………..
केंवट को तारे प्रभु जी,
नौका तो बहाने हैं ।
हर तरफ प्रभु यही…………
शबरी को तारे प्रभु जी,
बेर तो बहाने हैं ।
हर तरफ प्रभु यही…………
द्रौपदी को तारे प्रभु जी,
वस्त्र तो बहाने हैं ।
हर तरफ प्रभु यही…………
विदुरानी को तारे प्रभु जी,
छिलके तो बहाने हैं ।
हर तरफ प्रभु यही…………
हमको भी तारो प्रभु जी,
कितने हीं बहाने हैं ।
हर तरफ प्रभु यही…………
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र