करिल प्रभु के चरनियाँ में…….….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है मेरी रचना भोजपुरी में लिखा भजन जिसमें जिन्दगी की सच्चाई वर्णित है । मनुष्य का जन्म सत्कर्म करने के लिये मिलता है परंतु मनुष्य प्रभु को भूल कर सांसारिक मोह माया में फँस जाता है । माता पिता पुत्र भाई सब यहीं तक के साथी हैं । आगे साथ कोई नहीं निभाएगा । अत:अरे मूर्ख प्राणी जो भी दो चार दिन जीवन के बच गए हैं, उसी में जिन्दगी सुधार ले l प्रभु का भजन भवसागर पार उतार देगा :—

करिल प्रभु के चरनियाँ में प्यार बबुआ ,
चार दिन के जिनिगिया तोहार बबुआ ।
जब से दुनियाँ में अइल दुनियादारी में भूलैल ,
नाहीं कैल भजनियाँ हमार बबुआ ।
चार दिन के जिनिगिया तोहार बबुआ ।
करिल प्रभु के चरनियाँ में……………
माई बाप पुत्र भाई केहु कामे नाहिं आई ,
अइसन मन में तु करिके बिचार बबुआ ,
करिल प्रभु के चरनियाँ में प्यार बबुआ ।
चार दिन के जिनिगिया तोहार बबुआ ।
करिल प्रभु के चरनियाँ में……………
सारी जिनगी गुजर गइल तोहार बबुआ ,
जवने बाँचल बा दिनवाँ दु चार बबुआ ,
ओहिमें करिल जिनिगिया सुधार बबुआ ।
चार दिन के जिनिगिया तोहार बबुआ ।
करिल प्रभु के चरनियाँ में…………

रचनाकार

  ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र