भाई बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक राखी के शुभ अवसर पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें एक बहन अपने भाई से देखिये क्या माँग रही है:—
रखियो राखी की लाज हमार बीरना ।
माँगे बहना जनम भर का प्यार बीरना ।
रखियो राखी की लाज………..
साल में ये दिन आता एक बार बीरना ,
हमको रहता इसी का इंतजार बीरना ,
आके करदो सपन मोर साकार बीरना ।
रखियो राखी की लाज………..
साथ खेली अँगन घर द्वार बीरना ,
सुन के आऊँ बिरन की पुकार बीरना ,
याद आवे वो बचपन का प्यार बीरना ।
रखियो राखी की लाज………..
माँगे बहना न बंगला न कार बीरना ,
माँगे नथिया न झुमका न हार बीरना ,
माँगे भाइ के जिवन में बहार बीरना ।
रखियो राखी की लाज………..
माँगे बहना जनम भर का प्यार बीरना ।
रखियो राखी की लाज………..
साल में ये दिन आता एक बार बीरना ,
हमको रहता इसी का इंतजार बीरना ,
आके करदो सपन मोर साकार बीरना ।
रखियो राखी की लाज………..
साथ खेली अँगन घर द्वार बीरना ,
सुन के आऊँ बिरन की पुकार बीरना ,
याद आवे वो बचपन का प्यार बीरना ।
रखियो राखी की लाज………..
माँगे बहना न बंगला न कार बीरना ,
माँगे नथिया न झुमका न हार बीरना ,
माँगे भाइ के जिवन में बहार बीरना ।
रखियो राखी की लाज………..
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र