राम और श्याम .
बड़ा हीं पावन हैं ये नाम,
चाहे राम कहो या श्याम ।
दोनों भवसागर पार करावैं,
दोनों भवबंधन मुक्त करावैं,
दोनों हैं सुख के धाम ।
चाहे राम कहो या श्याम।।
दोनों जगत के पालनहारा,
दोनों हीं भक्तन्ह के रखवारा,
दोनों करुणा के धाम ।
चाहे राम कहो या श्याम ।।
दोनों की महिमा अपरम्पारा,
गाइ न सकहिं चराचर सारा,
भजहु सदा निष्काम ।
चाहे राम कहो या श्याम ।।
दोनों को धरि हृदय भवन में,
दोनों के पावन चरनन में,
ब्रह्मेश्वर करे प्रणाम ।
चाहे राम कहो या श्याम ।।
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र