प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना :—
सम्हालो साँवरे मुझ को,
अधम तेरी शरण आया है ।
तुम्हारा बिरद रह जाए,
पुरानों ने जो गाया है ।
सम्हालो साँवरे मुझ को……
मैं भूला मोह ममता में,
न भाये ज्ञान की बातें ।
कटे ना अब प्रभू रातें,
दिवस ना चैन आया है ।
सम्हालो साँवरे मुझ को…….
न भाये भजन हीं मुझको,
किये ना कर्म हीं अच्छे ।
भुलाया आपको प्रभु जी,
विषय रस मन लगाया है ।
सम्हालो साँवरे मुझ को…….
ये ‘ब्रह्मेश्वर’ अधम पापी,
कभी तव नाम ना लीन्हाँ ।
प्रभू तुम हो पतित पावन,
तुम्हारी शरण आया है ।
सम्हालो साँवरे मुझ को…….
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र