प्रभु का नाम हीं भवसागर पार उतरने के लिए एक आधार है। गणिका, गिद्ध अजामिल आदि अनेक पापी प्रभु को भज कर भवसागर पार उतर गए। रे मूरख मन तू भी प्रभु को भज कर अपना बेड़ा पार करले। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :–
रघुबर नामहिं एक आधार ,
रे मन भजले बारम्बार ।
गणिका गिद्ध अजामिल भज कर ,
गए भवसागर पार ।
केंवट शबरी और अहिल्या ,
तरे भवसिन्धु अपार ।
रे मन भजले बारम्बार ।
रघुबर नामहिं एक आधार………
नाम लेत सब पापी तरि गए,
तरि गए अधम हजार ।
जो भी आया प्रभु कि शरन में,
सबका हुआ उद्धार ।
रे मन भजले बारम्बार ।
रघुबर नामहिं एक आधार………
बन्दर भालू कोल किरातन्हिं ,
भज लिए नाम उदार ।
रे मूरख मन तूभी भज कर ,
करले बेड़ा पार ।
रे मन भजले बारम्बार ।
रघुबर नामहिं एक आधार………
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र