प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में राग भैरवी में मेरी ये रचना:——-
भवसागर के खेवैया जी पार लगादो ।
डूबत मोरि नैया जी पार लगादो ।
भवसागर के खेवैया जी———–
बीच भवँर में पड़ी नाव हमारी ,
टूट गई पतवार बिचारी ,
उलट चलत है पवन पुरवैया जी पार लगादो ।
डूबत मोरि नैया जी पार लगादो ।
भवसागर के खेवैया जी———–
सुनलो दयानिधि विनती हमारी ,
आयो शरण में प्रभु मैं तो तिहारी ,
लाज हमारी राखो जगत के रचैया जी पार लगादो l
डूबत मोरि नैया जी पार लगादो ।
भवसागर के खेवैया जी———–
आयो शरण में प्रभू बन के भिखारी ,
बहुतों को तारे अबकी बारी हमारी ,
हमको भी तारो शरणागत के रखैया जी पार लगादो ।
भवसागर के खेवैया जी———-
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र