राम गैलें अवधवा के त्याग सजनी…… -ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु श्री राम के बन जाने के पश्चात माता कौशल्या राम विरह में ब्याकुल हो कर बिलाप कर रही हैं और सखियों से अपनी विरह वेदना व्यक्त कर रही हैं । इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :——

राम गैलें अवधवा के त्याग सजनी ।
मोरे करम में घेरलस अभाग सजनी ।
राम गैलें अवधवा के………….
मोरे दिन अब कैसे कटिहैं ,
मोरे एक पल एक जुग बितिहैं ,
रतिया बितिहैं हमार जाग जाग सजनी ।
राम गैलें अवधवा के………….
बन में कंटक कुश बहु होइहैं ,
रघुबर मृदुल चरन केहि चलिहें ,
भालु बाघ सिंह होइहैं बिषधर नाग सजनी ।
राम गैलें अवधवा के………….
कंद मुल करिहैं राम अहारी ,
बन में सहिहैं आतप भारी ,
कैसे सहिहैं जाड़ा गर्मी बरसात सजनी ।
राम गैलें अवधवा के…………

 

रचनाकार

  ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र