शोभेला माइ के सिंगार हो मैया दुर्गा भवानी……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

नवरात्रि के शुभ अवसर पर प्रस्तुत है माता के श्रृंगार का वर्णन मेरी इस रचना में :——-

शोभेला माइ के सिंगार हो मैया दुर्गा भवानी ।
लाल लाल जोड़ा लाले रंग चुनरी,
लाले लाले फुलवा के हार हो मैया दुर्गा भवानी ।
शोभेला माइ के सिंगार हो………
लाले रंग सिन्दुर लाले रंग चूड़ी,
लाले रंग बिन्दिया लिलार हो मैया दुर्गा भवानी ।
शोभेला माइ के सिंगार हो………
पियर पियर झुमका पियर रंग मुन्दरी,
पियरे बा नथिया और हार हो मैया दुर्गा भवानी ।
शोभेला माइ के सिंगार हो………
कदली के पत्ता से द्वार सजल बा,
शोभेला बन्दनवार हो मैया दुर्गा भवानी ।
शोभेला माइ के सिंगार हो………
हाथ कृपाण त्रिशूल शोभेला,
शेरवा पर भैलू सवार हो मैया दुर्गा भवानी ।
शोभेला माइ के सिंगार हो………
सुर नर मुनिजन चरन पखारत,
महिमा बा राउर अपार हो मैया दुर्गा भवानी ।
शोभेला माइ के सिंगार हो………..

 

रचनाकार

  ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र