प्रस्तुत है प्रभु श्रीराम के चरणकमल की वन्दना मेरी रचना के माध्यम से :—–
भज मन राम चरन चित लाई ।
रे भाई राम चरन चित लाई।।
भज मन राम चरन………..
जेहि चरनन दशरथ को प्यारे,
खेलत घर अँगनाई ।
रे भाई राम चरन चित लाई ।
भज मन राम चरन………..
जेहि चरनन नृप जनक ने धोया,
सिय संग शोभत भाई ।
रे भाई राम चरन चित लाई ।
भज मन राम चरन………..
जेहि चरनन केंवट ने धोया,
परम रम्य पद पाई ।
रे भाई राम चरन चित लाई ।
भज मन राम चरन………..
जेहि चरनन बन बन में भटके,
सुबरन मृग पछु धाई ।
रे भाई राम चरन चित लाई ।
भज मन राम चरन………..
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र