प्रभु श्री राम के बनवास से लौटने पर अयोध्या में अपरिमित आनन्द छाया हुआ है। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना:—
राम अवध में पधारे आज ।
हरषित नगर बस्ति के लोगा ,
भए अनुकूल वार तिथि योगा ,
अघ अज्ञान सब भागे आज ।
राम अवध में………..
मंगल गान बेद धुनि छाए ,
सकल सुमंगल शकुन मनाए ,
अवध बधावन बाजे आज ।
राम अवध में………..
होने लगे तिलक तैयारी ,
स्त्रिन्ह चढ़ि चढ़ि देख अटारी ,
जय श्री राम पुकारे आज ।
राम अवध में………..
अघ = पाप
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र