हे राधा तूने मुरली काहे चुराई……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है मेरी ये रचना राधा और कृष्ण की नोक झोंक :——

हे राधा तूने मुरली काहे चुराई ।
ना तेरी बैरन ना तेरी सौतन ,
करे तोरी कौन बुराई ।
हे राधा तूने मुरली काहे चुराई ।
सुनहु कन्हैया तूने भी मोरि ,
माला लियो चुराई ।
माला में मोर प्रान बसतु है ,
जा में बसत कन्हाई ।
हे कान्हा तूने माला काहे चुराई ।
हे राधा तूने मुरली काहे चुराई ।
मोहन की गति राधा जाने ,
राधा की गति श्याम ।
राधे श्याम जब एक हुए तब ,
बनि गए राधेश्याम ।
हे कान्हा तूने माला काहे चुराई ।
हे राधा तूने मुरली काहे चुराई ।

 

रचनाकार

  ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र