कृष्ण गोपियों को बहुत सताते हैं । राह चलते उन्हें छेड़ते हैं । गोपियाँ कहती हैं कि मैया से हम तुम्हारी शिकायत करेगीं। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :———
डगर में छेड़ो न मोहे नन्दराइ ।
डगर चलत मोरि बैयाँ मरोरत,
चुनरी लेत उड़ाइ ।
डगर में छेड़ो न………..
कंकड़ि मारि गगरिया फोरत,
माखन लेत चुराइ ।
डगर में छेड़ो न………..
कदम तले बंशी की धुन पर,
जियरा लेत चुराइ ।
डगर में छेड़ो न………..
मैया से तोरे करबो शिकायत,
करिहैं खूब पिटाइ ।
डगर में छेड़ो न……..
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र