प्रभु श्रीराम के वनवास से अयोध्यावासी बहुत व्याकुल होकर कैकेई को गाली दे रहे हैं और कहते हैं कि इस दुर्बुद्धि कैकेई ने राम को तो वन भेज दिया, राजा को सुरधाम पठा दिया और स्वयं विधवापन ओढ़ लिया। और कहते हैं कि इसने अवध का सुख चैन छीन कर महान विपत्ति का पहाड़ सब पर डाल दिया। इसने छाये हुए घर को उजाड़ दिया। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :—-
अवध के लोगवा, देत है गारी ।
कैकेई कि मती गई मारी ।।
अवध के लोगवा………….
राम को भेज दियो बन में री नागिन ,
राजा को भेज दियो सुरपुर अभागिन ,
बिधवा का बाना ओढ़ डारी ।
अवध के लोगवा………….
छीन लियो पल में अवध के सुखवा ,
डारि दियो अवध पर पर्बत सम दुखवा ,
छावल घरवा उजारी ।
अवध के लोगवा………….
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र