यदुवंश में भगवान श्रीकृष्ण का अवतार हुआ है, गोकुल में आनन्द उत्सव मनाया जा रहा है, बधावा बज रहा है, नन्द जी और यशोदा जी अन्न,धन, मणि, रत्न, आदि लुटा रहे हैं, यशोदा जी गौरी गणेश की पूजा कर रही हैं और कहती हैं कि मन को मोहने वाला मुझे पुत्र हुआ है, देवता, मनुष्य, मुनिजन आरती उतार रहे हैं इस प्रकार गोकुल में नित्य नया नया मंगल हो रहा है। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है छन्द में लिखी मेरी ये रचना :—–
श्रीकृष्ण लियो अवतार पावन, यदू कुल भूषण भयो।
नन्दराज गृह अति छायो आनन्दु, नित्य नव मंगल भयो।
पूजत यशोदा गौरि गणपति, मोहना मोरे सुत भयो।।
श्रीकृष्ण लियो अवतार पावन…………
नित होहिं मंगल नन्दपुरि, बाजत बधावन नित नयो।
नन्द जी लुटावहिं अन्न धन, मणि रत्न गोधन गज हयो।।
श्रीकृष्ण लियो अवतार पावन…………
सुर नर मुनीजन करहिं आरति, निरखि मुख प्रमुदित भयो।
जय जयति जय जय जयति जय जय, शोर जय चहुँ दिशि भयो।।
श्रीकृष्ण लियो अवतार पावन…………
हयो (हय) = घोड़ा
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र