हे राम राघव दीनबंधू, दया के भंडार हो……-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु श्रीराम से मेरी विनती जिसे मैने छन्द में लिखी है:—–

हे राम राघव दीनबंधू, दया के भंडार हो ।
हे कृपालू हे दयालू, करुणासिन्धु अपार हो ।।
हे राम राघव दीनबंधू………….

अधमों के तुम उद्धारकर्ता, तुमहिं तारनहार हो ।
भक्तों कि खातिर दुख सहे, भक्तों के प्राणाधार हो ।।
हे राम राघव दीनबंधू………….

धरि विविध तन करुणाअयन, करते तु चरित अपार हो ।
खल दुष्ट कामी असुरजन, करते तुम्हीं संहार हो ।।
हे राम राघव दीनबंधू………….

मैं हूँ भिखारी जनम से, प्रभु तुम तो दानि उदार हो ।
करहू कृपा ब्रह्मेश पर, विनती हमारि स्वीकार हो ।।
हे राम राघव दीनबंधू…………

.

 

रचनाकार :

ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र