प्रभु श्रीराम से मेरी विनती जिसे मैने छन्द में लिखी है:—–
हे राम राघव दीनबंधू, दया के भंडार हो ।
हे कृपालू हे दयालू, करुणासिन्धु अपार हो ।।
हे राम राघव दीनबंधू………….
अधमों के तुम उद्धारकर्ता, तुमहिं तारनहार हो ।
भक्तों कि खातिर दुख सहे, भक्तों के प्राणाधार हो ।।
हे राम राघव दीनबंधू………….
धरि विविध तन करुणाअयन, करते तु चरित अपार हो ।
खल दुष्ट कामी असुरजन, करते तुम्हीं संहार हो ।।
हे राम राघव दीनबंधू………….
मैं हूँ भिखारी जनम से, प्रभु तुम तो दानि उदार हो ।
करहू कृपा ब्रह्मेश पर, विनती हमारि स्वीकार हो ।।
हे राम राघव दीनबंधू…………
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रचनाकार :
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र